आपने किसी शुभ कार्य को करने का, किसी अच्छे लक्ष्य को प्राप्त करने का यदि निश्चय कर लिया है तो उसे धरातल पर उतारने में विलम्ब न करें। उस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए तुरन्त जुट जाओ। योजनाएं बनाते रहने में ही समय नष्ट न करें। आपका विलम्ब बहुत बड़ी हानि भी कर सकता है और कुछ समय अवधि के पश्चात पश्चाताप का कारण भी बन सकता है कि मैंने उस अमुक योजना पर तुरन्त अमल क्यों नहीं किया। आज का आज ही किया जाये। यदि आज का काम आज न कर कल पर छोड़ दिया तो पता नहीं कितनी ‘कल’ देखनी पड़े। किसी ने कहा भी है कि कल किसने देखी है।
समय का मूल्य पहचानो समय अनमोल है। एक-एक पल अमूल्य है, उसका सदुपयोग करो। जो मनुष्य कहता है कि मेरे पास समय नहीं तो समझो व अपना बहुत सा समय बर्बाद कर रहा है। महापुरूषों ने लोक सेवा के महान से महान कार्य करते हुए भी समयाभाव की शिकायत नहीं की। सामान्य व्यवहार में व्यर्थ की गपशप में हम लोग कितना बहुमूल्य समय यूं ही बर्बाद कर देते हैं। आठ बजे प्रारम्भ होने वाली सभा नौ-दस बजे प्रारम्भ हुआ करती है। पांच मिनट में भी महत्वपूर्ण वक्तव्य दिया जा सकता है, जिससे मन तत्व स्पष्ट हो सके। उसके लिए लम्बे-चौड़े भाषण दिये जाते हैं। व्यर्थ के वाद-विवादों में महत्वपूर्ण विषयों पर होने वाले विमर्श बिना किसी निर्णय के समाप्त हो जाते हैं। बहुधा समय ही बर्बाद किया जाता है। क्या अजीब तमाशा है। जाने-अनजाने भगवान के द्वारा समय के रूप में दिये गये उपहार का हम अपमान तो नहीं कर रहे हैं? विचारणीय है।