Saturday, November 23, 2024

अनमोल वचन

संतुष्टि अर्थात संतोष इंसान की सबसे बड़ी शक्ति और सबसे बड़ा खजाना है। मानव की आत्मा के मूलभूत सात गुण है, जैसे शान्ति, प्रेम, पवित्रता, सुख, आनन्द, आत्म ज्ञान और आत्म शक्ति। जब किसी इंसान में ये सारे गुण पूर्णता में मौजूद होते हैं वह इंसान सतोगुणी कहलाता है और इन गुणों का समावेश ही संतोष, संतुष्टि या संतुष्टता होता है।

संतोष रूपी धन के सामने दुनिया की अन्य धन-दौलत फीकी पड़ जाती है। ऐसा इसलिए क्योंकि संसार के सारे वैभव और भौतिक सुख-सुविधाएं भी मनुष्य को सच्ची संतुष्टि देने में असमर्थ होती है। यह सच है कि मनुष्य की सांसारिक इच्छाओं की कोई सीमा नहीं होती।

महात्मा बुद्ध के कथनानुसार भौतिक इच्छाएं अथवा कामनाएं ही इंसान के दुखों का कारण है। भौतिक कामनाओं का अन्त ही दुखों का अंत है। इसलिए उन्होंने कामनाओं को शुभ कामनाओं में बदलने का मार्ग दिखलाया।

शास्त्रों में ‘इच्छा मात्रम् अविद्या कहा गया है और यह भी कहा गया है ‘सा विद्याया विमुक्तये अर्थात विद्या वही है, जो मनुष्य को कामनाओं और इन्द्रिय भोग से जन्मे रोग, कष्ट और दुख से मुक्ति दिलाये।

- Advertisement -

Royal Bulletin के साथ जुड़ने के लिए अभी Like, Follow और Subscribe करें |

 

Related Articles

STAY CONNECTED

74,306FansLike
5,466FollowersFollow
131,499SubscribersSubscribe

ताज़ा समाचार

सर्वाधिक लोकप्रिय