निराशा, त्याग व आशा का दामन थामे रहो। आशा सकारात्मक है और निराशा नकारात्मक, जब हमारा चिंतन सकारात्मक होगा तो यदि हमसे अतीत में कोई त्रुटि या भूल हो गई हो तो उसे भुलाकर अपने वर्तमान और भविष्य की योजनाओं की सफलताओं के प्रयासों में ही अपनी ऊर्जा लगायेंगे। यदि अतीत की भूलों का ही पश्चाताप करते रहेंगे तो अतीत में जो उपलब्धि हमें हो पाई है, उसमें तो कुछ वृद्धि होगी नहीं वर्तमान और भविष्य भी चौपट हो जायेगा, क्योंकि भविष्य के बारे में हमारी आशंकाऐं हमारी कार्यशैली को निरन्तर प्रभावित करती रहेगी। आगे ऐसा कुछ भी हमें दिखाई देगा ही नहीं, जिस पर दृष्टि रखी जाये। हमें ऐसा प्रतीत होता रहेगा कि आगे कुछ अच्छी बात घटित न होकर बुरी बात ही घटित होगी। अतीत में चाहे जितनी बड़ी भूल हमसे हो गई हो उसके कारण अपने वर्तमान और भविष्य को नष्ट करने की कोई नादानी हमें नहीं करनी चाहिए। भविष्य के प्रति आशावान बने रहना आपको ऊर्जा प्रदान करेगा। किसी बुरी बात की आशंका बिल्कुल न करें। आशावादी दृष्टिकोण आपको निश्चित ही सफलता दिलायेगा।