स्वस्थ तथा दीर्घायु होने की कामना सभी मनुष्यों में निर्विवाद रूप से पाई जाती है, किन्तु स्वस्थ और दीर्घायु अधिकाशत: वे ही व्यक्ति होते है, जिनका हृदय नि:श्छल और पवित्र होता है। जो किसी के प्रति दुर्भावना नहीं रखते, जिनके ऊपर दूसरे लोग विश्वास कर सकते हो। किसी भी सम्बन्ध को निभाने का सूत्र भी यही है कि व्यक्ति का दिल साफ होना चाहिए। वे लोग जिनके हृदयों में एक-दूसरे के प्रति बैर-भाव, ईष्र्या, एवं घृणा आदि के भाव हो कभी एक दूसरे के साथ समर्पण भाव से नहीं रह सकते। साफ हृदय न केवल दिलों को छूता है, बल्कि आईना बनकर जीवन भर चमकता है और उसमें लोगों को नई राह और नई दिशा दिखाता है। बहुत सुन्दर सूरत के अन्दर यदि एक खूबसूरत दिल नहीं है तो वह सूरत अधिक समय तक प्रभावित नहीं कर सकती। व्यक्ति यदि निष्कपट निश्छल और सहृदय है, दूसरों की पीड़ा में स्वयं पीडिृत होता है तो उसके व्यक्तित्व में आत्मविश्वास एवं उत्साह झलकने लगता है। ऐसा व्यक्ति उन्नति के शिखरों पर पहुंचता है तथा सबका पूजनीय बन जाता है। मूल्य सूरत से अधिक सीरत का है।