महर्षि पंतजलि कहते हैं कि योग अनुशासन का नाम है। अपने आपको अनुशासित कीजिए। अपनी दिनचर्या, अपना रहन-सहन, अपना व्यवहार, अपना आचरण अनुशासित कीजिए। अपने आपको नियम में बांधिए, जिससे आपका जीवन सुन्दर बन सके और आप अपने जीवन में संसार के संघर्षों में खरे उतर सके।
आपको अपना जीवन सुन्दर बनाने के लिए व्यवस्थित होना पड़ेगा। योजनाएं बनाकर चलना पड़ेगा, अगले दिन के लिए पहले दिन तैयारी कर लेना अच्छा है। सम्पूर्ण तैयारी कर लेने के पश्चात ही सोने का उपक्रम करें, क्योंकि प्रात: का कार्य प्रारम्भ करने के लिए पूजन आदि करने के समय यें उलझनें लेकर बैठें और सवेरे-सवेरे वे कार्य लेकर भागदौड़ करें, जो कल ही हो जाने चाहिए थे, तो सारा दिन तनाव में बीतेगा।
जिस आदमी का प्रभात अच्छा होता है, उसका मध्यान्ह भी अच्छा होता है, जिसका मध्यान्ह अच्छा होता है, उसकी सांझ भी अच्छी होती है और जिसकी सांझ अच्छी होगी, उसकी रात भी अच्छी होगी। जिस व्यक्ति की रात अच्छी रहेगी, उसका अगला प्रभात भी अच्छा रहेगा। इसलिए आप अपना आरम्भ अच्छे ढंग से कीजिए, जिससे सब अच्छा ही अच्छा हो।