चुगलखोरी बहुत बुरी आदत है। चुगलखोर व्यक्ति दूसरों से अधिक अपनी हानि करता है। सज्जन लोगों की दृष्टि में वह निकृष्ट व्यक्ति माना जाता है। यदि कोई दूसरों पर कीचड़ फेंकता है तो कीचड़ फेंकने वाला साफ-सुथरा कैसे रह सकता है। दूसरों पर कीचड़ पड़े न पड़े उसके हाथ तो कीचड़ में मैले हो ही जायेंगे। यह बात भी संज्ञान में रहनी चाहिए कि कोई व्यक्ति दूसरों की चुगली अथवा बुराई आपसे करता है तो यह निश्चित है कि वह आपकी चुगली तथा बुराई दूसरों के सामने भी करता है, क्योंकि ऐसा करना उसका स्वभाव है। अपने स्वभाव के अनुसार वह ऐसा करने को बाध्य भी है। चुगलखोर तथा उसे गम्भीरता से सुनने वाला दोनों ही एक जैसी प्रवृत्ति के होते हैं, आप जैसा सुनना चाहते हैं, दूसरा वैसा ही आपको सुना रहा है, सच्चाई यह है कि चुगली करने वाला तथा उसे सुनने वाला दोनों ही निर्माण का नहीं विध्वंस का रास्ता पकड़े हुए हैं, क्योंकि ऐसी बातों में झूठ ही झूठ होता है। सच्चाई का अंश उसमें होता ही नहीं। फिर ऐसे झूठ को सुनकर अपने विचार बनाने वाले का चिंतन भी नकारात्मक हो जाता है, क्योंकि ऐसे व्यक्ति जोडऩे की नहीं तोडऩे की ही सोचते हैं।