Friday, November 22, 2024

अनमोल वचन

यह चराचर सृष्टि परमपिता परमात्मा की न्याय व्यवस्था से सुव्यवस्थित हो रही है। इसमें किसी जीव के साथ अन्याय नहीं होता, किन्तु सभी को वह सब नहीं मिल पाता, जिसकी वे कामना करते हैं। इससे प्राय निराशा घेरने लगती है, परन्तु मनुष्य को निराशा के घेरे में फंसने से बचना चाहिए। जीवन के किसी भी क्षेत्र में सफलता के शिखर पर पहुंचने के दो ही सूत्र हैं। एक कार्य के प्रति निष्ठा एवं ईमानदारी और दूसरा है प्रभु कृपा जो बहुत ही निर्णायक है। यदि मनुष्य के हाथ में कुछ होता तो वह मनचाहा जीवन जीने की प्रभुता रखता, परन्तु एक क्षण भी वह प्रभु कृपा की स्नेह छांव के बिना जीवन यात्रा का एक पग भी आगे नहीं बढ़ा सकता। संसार में जिसे जो भी मिला है वह केवल प्रभु कृपा से ही सम्भव हुआ है। चाहे तो हम चाहे जो कुछ किन्तु मनुष्य उतनी ही देर उस पद अथवा सत्ता पर आसीन रह सकता है तथा उतने ही समय ऐश्वर्य भोग सकता है, जितनी देर के लिए प्रभु कृपा से उसे अवसर प्राप्त हुआ है। उससे अधिक एक क्षण भी नहीं, जिसे प्रभु की कृपा और संरक्षण प्राप्त है उसका कोई बाल भी बांका नहीं कर सकता। अत: प्रभु सत्ता को स्वीकार करके ही हम परमात्मा को प्राप्त करने के सुपात्र बन सकते हैं।

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