आज का युग स्वार्थ का युग है अपने निजि स्वार्थ में वह अपने ही मां-बाप, भाई-बहन, राष्ट्र सेवा में लगे सैनिकों को भूलकर उनके त्याग बलिदानों को नजरअंदाज कर अपना उल्लू सीधा करने लगा है, जिन्होंने राष्ट्र हित में वीरता से प्राण दिये। हम मौन तमाशा देखते हैं, जब हमारे सैनिक सीमा पर हमारी रक्षा करते हुए मारे जाते हैं। हम तब भी प्रतिक्रिया हीन बैठे हैं, जब हमारा अन्नदाता किसान आत्महत्या को बाध्य हो जाता है। उसे उसकी फसल का उचित मूल्य नहीं मिलता। जब किसी खाद्य वस्तु का कुछ मूल्य बढ़ जाता है, तो महंगाई महंगाई कहकर आसमान सिर पर उठा लिया जाता है किसान को जब कम मूल्य मिलने के कारण अपनी फसल को सड़कों पर फेंकना पड़ता है तो कभी हम सोचते नहीं कि ऐसा क्यों हो रहा है, किसान के साथ यह अन्याय क्यों हो रहा है। क्या हमारा यही दायित्व है? नहीं-अब हमारा दायित्व है कि हमें अपने कर्तव्यों को ईमानदारी से पूर्ण करते हुए समाज में हो रहे इस प्रकार के अन्याय के प्रति चुप न रहे। जिस प्रकार हम अपने साथ हो रहे अन्याय में विचलित हो जाते हैं उसी प्रकार अपनी प्रतिक्रिया देकर जागरूक रहने का प्रयास करते रहे। सभी के दुख-सुख के विषय में सभी को सोचना होगा, तभी हम सभ्य नागरिक कहलाने के अधिकारी बनेंगे।