संसार का ऐसा कोई कार्य नहीं जो आदमी की पहुंच से बाहर हो, परन्तु शर्त यह है कि काम के प्रति लगाव हो तथा इच्छा शक्ति में दृढ़ता हो। यदि किसी कार्य को करने के ढंग को अपनी रूचि के अनुकूल बना लिया तो सफलता भी शीघ्र प्राप्त होगी। जो व्यक्ति अपने कार्य करने की रीति-नीति में भिन्नता लाता रहता है वह कार्य को रूचिकर बनाकर शीघ्र समाप्त भी कर लेता है। ऐसे व्यक्ति को सफलता भी निरन्तर मिलती रहती है तथा वह प्रगति पथ पर निर्बाध चलता रहता है। जीवन को समझ-बूझ के साथ जीने वाला अच्छे अनुभव और बुद्धि के विकास के रूप में अच्छे फलों की प्राप्ति भी करता है। उसका अनुभव अच्छे-बुरे की पहचान शीघ्र कर लेता है। कठिन से कठिन समय को प्रसन्नता और आशावादी दृष्टिकोण से व्यतीत करना साथ ही शान्ति और संतोष बनाये रखना यह ज्ञान उसकी विवेक शक्ति के द्वारा उसे प्राप्त होता है। प्रारब्ध के अनुसार जो प्राप्त होना है वह अच्छा-बुरा सुखकारक हो या कष्टकारक हो वह तो होगा ही उसे हमें किस रूप में स्वीकार करना चाहिए, इसका ज्ञान तो हमें होना ही चाहिए।