सभी व्यक्ति अपने जीवन में सुख-समृद्धि तथा शान्ति की कामना करते हैं, परन्तु इन कामनाओं की परिपूर्णता के लिए जीवन में सच्चरित्र और सदाचारी होना पहली शर्त है। जो उत्कृष्ट विचारों के बिना सम्भव नहीं है, हमें यह दुर्लभ मानव जीवन किसी भी मूल्य पर निरर्थक और उद्देश्यहीन नहीं जाने देना चाहिए।
लोक मंगल की कामना ही हमारे जीवन का उद्देश्य होना चाहिए, तभी हम सबके प्रिय होने के साथ ही वसुधैव कुटम्बकम की भावना को विस्तार दे सकेंगे। केवल अपने सुख की चाह हमें मानव होने के अर्थ से पृथक करती है, जब यह अच्छा सोचेंगे तो करेंगे भी अच्छा और बनेंगे भी अच्छा।
अपने दोषों और कमियों को हम सब जानते हैं, किन्तु अपने स्वार्थों के कारण इन्हें नजर अंदाज करते हैं, जब तक हम दूसरों के दुख-दर्द में शामिल नहीं होंगे, तब तक इस जीवन की सार्थकता सिद्ध नहीं होगी। अपने लिए तो पशु भी जीते हैं। सच्चा मानव तो वह है तो दूसरों के लिए भी जीता है।