यदि दुख न होता तो सुख में इतनी सरसता न होती। दुख से घबराओ मत, क्योंकि उसके बाद सुख आने वाला है। विपत्ति ईश्वरीय आदेश है वह अपने भीतर दयामय का संदेश छुपाये रहती है। संसार में कौन दुखी नहीं रहा है? किसी न किसी दुख से सभी प्राणी पीडि़त रहा करते हैं।
दुख क्या है तपस्या का प्रथम सोपान है भगवान भक्तों के कल्याण के लिए उन्हें बारम्बार दुखों की भट्ठी में तपाया करते हैं। संसार में जितने भी वंदनीय व्यक्ति हुए हैं उनके जीवन में सुख की अपेक्षा दुख का अंश कहीं अधिक रहा है। समय दुख के मरहम का काम करता है, जैसे-जैसे समय व्यतीत होता जाता है दुख की पीड़ा कम होती जाती है।
यदि तुम दुखी हो तो अपने से बड़े, दुखी को देखो, इससे तुम्हारा दुख कम हो जायेगा। यथार्थ यह है कि संसार दुख और व्यधियों से भरा हुआ है। यहां केवल सुख की खोज करना कम अकली है।