सांसारिक मोह ममता और विषय वासना का चस्का ऐसा लुभावना होता है कि उसे साधारण इच्छा होने पर छोड़ा नहीं जा सकता। एक हल्का सा विचार आता है कि जीवन जैसी वस्तु का उपयोग किसी श्रेष्ठ काम में करना चाहिए, परन्तु दूसरे ही क्षण ऐसी लुभावनी परिस्थितियां आ जाती हैं, जिसके कारण वह विचार धूमिल पड़ जाता है और मनुष्य ज्यौ का त्यौ वहीं आकर खड़ा हो जाता है।
इस प्रकार के कीचड़ से निकलने के लिए भगवान अपने भक्त को झटका देते हैं, सोते हुए को जगाने के लिए झकझोरते हैं। यह झटका ही हमें दुख प्रतीत होता है। गम्भीर बीमारी, प्रिय स्वजनों की मृत्यु विश्वसनीय मित्रों द्वारा अपमान या विश्वासघात जैसे दिल को चोट पहुंचाने वाली घटनाएं इसलिए भी आती है कि उनके आघात से मनुष्य तिलमिला जाये और सजग होकर इस संसार के मोह को त्याग दे।
भगवान अपने भक्तों को कष्ट देते ही इसलिए हैं कि समझ जाये। संसार से उन्हें विरक्ति हो जाये और मुक्ति के लिए भक्ति का मार्ग पकड़ लें।