Sunday, February 23, 2025

अनमोल वचन

ईश्वर हमारे लिए अपरिचित है। हम केवल अपने परिचित अज्ञान और मनोविकारों को ही जानते हैं। परिचितों का स्वागत किया जाता है और अपरिचित को आश्रय देने में संकोच होता है।

ईश्वर को अपने में आत्मसात करना अथवा उसमें स्वयं को घुला देना यह दोनों ही परिस्थितियां हमें अत्यन्त कठिन प्रतीत होती है फिर परम प्रभु से मिलन कैसे हो।

हम ईश्वर को जिस गज से नापते हैं वह बहुत छोटा है। अपने इस छोटे गज से महामानवों तक को न नाप सके उसके रहते उन्हें समझ नहीं पाये, उनका उपहास किया और उनसे असहयोग करते रहे।

उन्हें विष पान तक कराया उनकी जीवन लीला समाप्त कर दी फिर इतने विशाल परमेश्वर को अपने उस छोटेपन से किस प्रकार जानेंगे, उसे कैसे पायेंगे, उसे कैसे अपनायेंगे।

- Advertisement -

Royal Bulletin के साथ जुड़ने के लिए अभी Like, Follow और Subscribe करें |

 

Related Articles

STAY CONNECTED

74,854FansLike
5,486FollowersFollow
143,143SubscribersSubscribe

ताज़ा समाचार

सर्वाधिक लोकप्रिय