यह सच्चाई कि जो धर्म और सत्य के मार्ग पर चलते हैं उन्हें कुछ न कुछ कठिनाईयों का सामना तो करना पड़ता ही है, परन्तु जो मन में संकल्प करके धर्म और सत्य के मार्ग पर चलते हैं कठिनाईयां मात्र उनकी परीक्षा लेती है, उनका कुछ अहित नहीं कर सकती, क्योंकि ऐसे व्यक्तियों को परमात्मा की शक्ति का सम्बल पग-पग पर मिलता रहता है।
उनके सम्मुख आने वाली कठिनाईयां उन्हें और निखारती हैं। साथ ही भिन्न-भिन्न प्रकार की अनुभूतियां प्रदान करके मंजिल का मार्ग प्रशस्त करती रहती है। बादल लम्बे समय तक सूर्य को ढक कर नहीं रख सकते। यह प्रकृति का नियम है।
सत्य के मार्ग के पथिक को कठिनाईयां अधिक समय तक कष्टमय नहीं रख सकती। सत्य की अनुभूति का ज्ञान होते ही व्यक्ति अपने दोष दुर्गणों को, अपने अहम को परम सत्ता के चरणों में समर्पित कर देता है और अपने मन मंदिर को पवित्र करके निष्पाप बना लेता है।
इस कारण उसे किसी परेशानी की अनुभूति नहीं होती। बुरे परिणाम से बचने के लिए सभी मनुष्यों को दोष, दुर्गण और व्यसनों को अपने जीवन से निकाल देना ही हितकारी होता है।