जन्म और मृत्यु क्या है? आइये जन्म और मृत्यु के सच को समझे। जन्म क्या है? जब हम श्वास लेते हैं उस समय हमारा जन्म होता है, हम जीवन में होते हैं। श्वास को भीतर लेने के क्षण में हम जीवन में और श्वास को बाहर छोडऩे के क्षण में हम मृत्यु में होते हैं।
श्वास का छूटना ही मृत्यु है और श्वास का ग्रहण करना ही जीवन है। श्वास का आना हमारे जीवन का लक्षण है और श्वास का गमन मृत्यु का प्रतीक है। हम प्रति क्षण श्वास लेते हैं और प्रति क्षण श्वास छोड़ते हैं। यह इस सच का प्रमाण है कि हम एक क्षण जीवन में होते हैं और एक क्षण मृत्यु में होते हैं।
बाहर छोडा गया श्वास यदि लौटकर न आये तो क्या उसे लौटाने का कोई उपाय हमारे पास है? विश्व भर के चिकित्सक मिलकर भी यत्न करे तो भी बाहर गये श्वास को लौटा नहीं सकते। श्वास लौटना है तो वह लौटता है और नहीं लौटना है तो नहीं लौटता। श्वास का आवागमन जीवन और मृत्यु का सच है इसीलिए यह मानना कि मृत्यु भविष्य में घटेगी यह अज्ञानी का लक्षण है।
ज्ञानी तो निरन्तर घट रही मृत्यु को देखता रहता है। इसी कारण वह पापों से मुक्त रहता है, अहंकार से अछूता रहता है। सतत मृत्यु का स्मरण लोभ-मोह से दूर रखता है, जो अपनी मृत्यु को वर्षों बाद मानता है उसे भुलाने का प्रयास करता है, वह पाप करने में संकोच नहीं करता।