लखनऊ- मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश के आसपास के राज्यों से आने वाले बाढ़ के पानी को सुनियोजित ढंग से सूखे खेतों तक पहुंचाने की व्यवस्था करने के निर्देश दिये हैं।
उन्होंने संबंधित विभाग के अधिकारियों को निर्देशित किया कि प्रदेश के सभी 71 जलाशयों की डिसिल्टिंग कराते हुए बाढ़ के पानी को चैनलाइज करते हुए इनमें पहुंचाने की समुचित व्यवस्था करें। इसके लिए उन्होंने सिंचाई विभाग को विस्तृत कार्ययोजना तैयार करने को कहा है।
गौरतलब है कि विगत दो वर्षों से प्रदेश के जिलों को अल्पवृष्टि की समस्या से जूझना पड़ रहा है, जिससे खरीफ की फसलों को भारी नुकसान हो रहा है। इस साल भी प्रदेश के 40 जिलों में अब तक अल्पवृष्टि दर्ज की गयी है। वहीं हाल ही में उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में हुई भारी बारिश के बाद प्रदेश की कई नदियों का जलस्तर बढ़ा है। इससे सरयू, गंगा और यमुना से सटे जिलों में बाढ़ की समस्या उत्पन्न हुई है। बीते साल भी अक्टूबर में आई बाढ़ ने प्रदेश के कई जनपदों में भारी नुकसान पहुंचाया था।
प्रदेश की नदियों में उफान के बावजूद ज्यादातर इलाके सूखे की कगार पर हैं। इस वर्ष पूर्वी उत्तर प्रदेश में दक्षिणी पश्चिमी मानसून से कुल 233.5 मिली मीटर वर्षा रिकॉर्ड की गयी है, जो सामान्य से 64.8 मिली मीटर कम है। इनमें संतकबीर नगर, पीलीभीत, मऊ, मीरजापुर, देवरिया, कुशीनगर और कौशांबी में सबसे कम बारिश दर्ज की गयी है। इन इलाकों में 60 से 90 प्रतिशत कम बारिश रिकॉर्ड की गई है। इसके अलावा पूर्वी उत्तर प्रदेश के 33 जिले ऐसे हैं, जहां 20 से 60 प्रतिशत बारिश दर्ज की गयी है। प्रदेश के केवल 18 जिले ही ऐसे हैं, जहां पर सामान्य बारिश हुई है। वहीं 17 जिलों में सामान्य से अधिक बारिश हुई है।
एक तरफ जहां प्रदेश के तमाम जिलों में अल्पवृष्टि के कारण किसानों के खेत सूखे हुए हैं, वहीं पहाड़ी क्षेत्रों में हो रही बरसात की वजह से नदियों में उफान है। ऐसी परिस्थितियों को देखते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सिंचाई विभाग के अधिकारियों को निर्देशित किया है कि वह ऐसी सुनियोजित व्यवस्था बनाएं जिससे बाढ़ के पानी का अधिक से अधिक उपयोग किसानों के हितों में किया जा सके।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मंशा है कि बाढ़ के पानी को पहले जलाशयों में पहुंचाया जाए। इसके बाद नहरों के जरिये इसे किसानों के खेतों तक सिंचाई के लिए उपलब्ध कराया जाए।
ज्ञातव्य है कि प्रदेश में 75090.90 किलोमीटर की नहर प्रणाली है। इनमें वृहद और मध्यम स्तर के पंप नहरों की संख्या 30 है, जबकि लघु डाल नहरें 254 हैं। इसके अलावा 71 जलाशय भी हैं, जिनसे खेतों की सिंचाई होती है। अल्पवृष्टि के कारण तमाम नहरों में पानी की कमी रहती है। बारिश की अनियमितता के कारण उत्पन्न होने वाली समस्या से निपटने के लिए कार्ययोजना बनाने के निर्देश दिये गए हैं।