लखनऊ। उत्तर प्रदेश में हिंदू हृदय सम्राट योगी आदित्यनाथ का राज है, जिसमें भव्य राम मंदिर का निर्माण हुआ है और भाजपा यूपी में राम राज्य की स्थापना के भी दावे कर रही है, ऐसे में बिजली विभाग का एक आदेश आज प्रदेश में खासी चर्चा का विषय बन गया है ।
प्रदेश में दशहरे से लगभग 10 दिन पहले से सैकड़ो साल से रामलीलाओं का मंचन होता रहा है। हर शहर में दर्जनों स्थान पर रामलीला का मंचन होता है और उसके लिए जो बिजली उपयोग होती है, वह सार्वजनिक बिजली का इस्तेमाल होता है ।
उसके लिए अभी तक कोई भुगतान किसी रामलीला को नहीं करना होता था।
उत्तर प्रदेश में जब कथित रूप से हिंदू और राम विरोधियों की सरकार भी रही है, तब भी रामलीला के लिए बिजली मुफ्त थी, पर अब प्रदेश के बिजली विभाग ने एक ऐसा आदेश जारी किया है जिसने पूरे प्रदेश के रामलीला आयोजकों को हिला कर रख दिया है।
मोहल्ले वासियों से चंदों के आधार पर चलने वाली रामलीलाओ के लिए बिजली विभाग ने आदेश कर दिया है कि अब प्रतिदिन 8500 बिजली विभाग को देना होगा।
मेरठ में बिजली विभाग की एमडी ईशा दूहन के आदेश पर आज बिजली विभाग के अफसर अलग-अलग रामलीलाओं में पहुंचे, और रामलीलाओं के कनेक्शन काटने की प्रक्रिया शुरू की ।
जिन रामलीलाओं द्वारा भुगतान कर दिया गया, उनको रसीद थमा दी गई और जो छोटी रामलीला भुगतान करने में असमर्थ रही उनकी बिजलियां काट दी गई जिससे अगले तीन दिन ये रामलीला शायद नहीं हो पाएंगी।
रामलीला आयोजकों का कहना है कि यह अच्छा राम राज्य आया है, जिसमें रामचरित्र की प्रस्तुति पर तो बिजली विभाग इतना सख्त है, जबकि उद्योगों और अन्य आबादी जैसे इलाकों में 50% से ज्यादा की बिजली चोरी को रोक पाने में विभाग विफल है।
रामलीला आयोजको का कहना है कि जिन्हें भाजपा वाले,राम विरोधी कहते थे,उन्होंने कभी भी, किसी भी धर्म के धार्मिक आयोजन पर इस तरह का डंडा नहीं चलाया, लेकिन राम भक्तों की सरकार को रामलीलाओं का आयोजन भी शायद रास नहीं आ रहा है।
बिजली विभाग के इस फैसले से रामलीला आयोजकों में रोष बना हुआ है।
कुछ रामलीला आयोजकों ने बताया कि उन्होंने आज 8550 प्रतिदिन के हिसाब से आज और कल दोनों दिन के 17100 की रसीद कटवा कर अपना कनेक्शन बचाया है।