Monday, December 23, 2024

विदेशी आक्रांता के हमले का परिमार्जन है अयोध्या का श्रीराम मंदिर : चम्पत राय

अयोध्या। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चम्पत राय ने ‘अयोध्या उत्सव’ के एक सत्र में कहा कि अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण विदेशी आक्रांताओं के हमले का परिमार्जन है। उन्होंने कहा कि श्रीराम जन्मभूमि मंदिर में 22 जनवरी को होने वाली प्राण प्रतिष्ठा के आनंद की तुलना मैं 15 अगस्त 1947 को मिलने वाले आनंद के क्षण से कर पा रहा हूं।

चम्पत राय तीन दिवसीय ‘अयोध्या उत्सव’ के दूसरे दिन रविवार को समूह की पत्रिका नवोत्थान के विशेषांक का लोकार्पण करने के बाद उपस्थित लोगों को संबोधित कर रहे थे। बहुभाषी न्यूज एजेंसी हिन्दुस्थान समाचार के तत्वावधान में मणिराम दास छावनी स्थित श्रीराम सत्संग भवन में ‘अयोध्या उत्सव’ का आयोजन किया गया है।

चम्पत राय ने वर्ष 1962 की लड़ाई को याद करते हुए कहा कि भारतीय संसद लोक भावनाओं का आदर करने वाला है। राय ने कहा कि वर्ष 1962 में चीन ने हिंदुस्तान पर हमला किया। बहुत बड़ा भूखंड कब्ज़ा कर लिया। उसके कब्जे वाली भूमि को लेकर भारतीय संसद ने एक प्रस्ताव पारित किया। हम एक-एक इंच भूमि वापस लेंगे। बावजूद इसके इसे केवल संसद का प्रस्ताव नहीं माना जा सकता है। संसद हिंदुस्तान के समाज का प्रतिनिधित्व करता है। उन्होंने सवालिया अंदाज में कहा कि वर्ष 1962 की घटना और वर्ष 1963 के प्रस्ताव के कितने वर्ष हो गए। अभी तो एक इंच भी जमीन नहीं ली जा सकी है।

उन्होंने एक घटना का जिक्र करते हुए कहा कि अटल जी को अमेरिका से फोन आया। आप यहां आ जाइए। अटल जी ने कहा था कि वे अमेरिका नहीं आएंगे। यह कौन सी प्रेरणा काम कर रही थी। चम्पत राय ने इसे व्याख्यायित करते हुए कहा कि किसी विदेशी का आक्रमण, किसी राष्ट्र का अपमान है। रूस एवं यूक्रेन और इजराइल एवं हमास के युद्ध की चर्चा कर उन्होंने कहा कि ये सभी अपने अपमान एवं अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे हैं। यह विदेशी आक्रांता यानी राष्ट्र का अपमान है। इसलिए राष्ट्र के अपमान का परिमार्जन आवश्यक है। श्रीराम मंदिर का निर्माण ऐसी ही भावनाओं का प्रतिफल है। यह विदेशी आक्रांताओं का परिमार्जन है।

राय ने कहा कि अयोध्या में 3000 मंदिर होंगे। यहां के सभी संत-महात्माओं ने युद्ध लड़े। गिनती नहीं है। शासन ने भी कभी गिनती नहीं की होगी। आलम यह था कि कभी अयोध्या की जनता, कभी अयोध्या का समाज तो कभी हनुमानगढ़ के लोगों ने इस संघर्ष को जारी रखा। कभी दिगंबर तो कभी निर्मोही अखाड़े ने इसे जारी रखा। वजह, यह हमारे आराध्य देव श्रीराम का जन्म स्थान है। इस धरा पर दूसरा अन्य कोई जन्मस्थान नहीं हो सकता। जन्मस्थान, ट्रांसफरेबल नहीं है। इसलिए यह हमारे देव के जन्मस्थान का मंदिर है। यह संघर्ष केवल श्रीराम मंदिर की लड़ाई नहीं थी। राष्ट्र के मंदिर और सम्मान के मंदिर का मसला रहा।

चम्पत राय ने कहा कि श्रीराम के मंदिर निर्माण में किसी एक व्यक्ति अथवा संगठन का सहयोग नहीं है। इसका निर्माण करोड़ों लोगों के सहयोग से हो रहा है। किसी को गफलत नहीं होनी चाहिए कि इसके निर्माण में किसी ने दान दिया है बल्कि यह समझें कि इसके निर्माण में हर भारतीय ने कंट्रीब्यूट किया है। यह हिंदुस्तान के करोड़ों लोगों के परिश्रम से निर्मित हो रहा है। इसके निर्माण में 1000 वर्षों का परिश्रम और आहुतियां शामिल हैं।

- Advertisement -

Royal Bulletin के साथ जुड़ने के लिए अभी Like, Follow और Subscribe करें |

 

Related Articles

STAY CONNECTED

74,303FansLike
5,477FollowersFollow
135,704SubscribersSubscribe

ताज़ा समाचार

सर्वाधिक लोकप्रिय