Saturday, October 5, 2024

डीयू में विदेशी गाउन नहीं, छात्रों ने अंगवस्त्र पहनकर ली राष्ट्रपति से डिग्री, पीएचडी में नया रिकॉर्ड

नई दिल्ली | शनिवार 25 फरवरी को दिल्ली विश्वविद्यालय का 99वां दीक्षांत समारोह हुआ। इस समारोह की मुख्य अतिथि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू थीं। राष्ट्रपति से डिग्री लेने वाले कई छात्र यहां भारतीय अंगवस्त्र पहन कर आए। दरअसल हर वर्ष दिल्ली विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में अनेक छात्र अंग्रेजी गाउन पहनकर डिग्री लेते हैं। वर्षों से चली आ रही पाश्चात्य परम्परा के स्थान पर अब भारतीय अंगवस्त्र पहनने का आग्रह किया गया था।

विश्वविद्यालय का कहना है कि यह अपने आप में नया तथा भारतीय संस्कृति को दुनिया से अवगत कराने वाला कदम है। छात्र संगठनों ने भी विश्वविद्यालय प्रशासन के इस निर्णय का समर्थन किया।

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इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा कि यह कहा जा सकता है कि दिल्ली विश्वविद्यालय भारत की समृद्धि और विविधता को प्रदर्शित करता है। यह भी कहा जा सकता है कि भारत और विदेशों में उत्कृष्टता के हर क्षेत्र में दिल्ली विश्वविद्यालय का एक अंश है। हालांकि कोई भी संस्थान अपनी ख्याति पर निर्भर नहीं कर सकता।

अपने 99 दीक्षांत समारोह में दिल्ली विश्वविद्यालय में डीयू ने ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन के कुल 1,57,290 छात्रों को डिजिटल डिग्रियां प्रदान की हैं। इसके साथ ही विश्वविद्यालय ने 910 पीएचडी डिग्रियां प्रदान की है। पीएचडी डिग्री हासिल करने वाले छात्रों में 512 महिलाएं और 398 पुरुष। चिकित्सा क्षेत्र के 47 छात्रों को डिग्रियां प्रदान की गईं। दिल्ली विश्वविद्यालय के मुताबिक यह पीएचडी डिग्रियों का एक नया रिकॉर्ड है, इससे पहले एक साथ इतनी बड़ी संख्या में पीएचडी की डिग्री कभी नहीं दी गई।

कुल 1,57,290 छात्रों को डिजिटल डिग्रियां प्रदान की गई, विश्वविद्यालय के मुताबिक रेगुलर छात्रों को 81972 डिग्रियां दी गई। वहीं एसओएल के यूजी व पीजी के लगभग 75 हजार छात्रों को डिग्री दी गई है।

इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा कि आज की तेजी से बदलती दुनिया में, संस्थान को खुद को निरंतर बदलना पड़ता है। दिल्ली विश्वविद्यालय समुदाय को उत्कृष्टता के मापदंडों पर देश के अन्य विश्वविद्यालयों का नेतृत्व करने के लिए कर्तव्यबद्ध महसूस करना चाहिए, और इस तरह उच्च शिक्षा के विश्व स्तर पर तुलनीय संस्थानों के बीच एक स्थान अर्जित करना चाहिए।

राष्ट्रपति ने कहा कि हमें सभी भाषाओं और संस्कृतियों का सम्मान और स्वागत करना चाहिए, लेकिन अपनी जड़ों से हमेशा जुड़े रहना चाहिए। कायाकल्प और रचनात्मकता जड़ों से आती है। उन्होंने युवाओं से भारतीय धरती से जुड़े रहते हुए विश्व में उपलब्ध उत्कृष्ट ज्ञान अर्जित करने की गांधीजी के परामशरें का अनुसरण करने का आग्रह किया।

राष्ट्रपति ने छात्रों को संबोधित करते हुए, कहा कि वह अपने गांव की पहली लड़की थी जो पढ़ने के लिए शहर गई थी। उनके सहपाठियों में भी कई ऐसे विद्यार्थी हो सकते हैं जिनके परिवार या गाँव में उनसे पहले कोई भी विश्वविद्यालय स्तर की शिक्षा प्राप्त नहीं कर पाया होगा। ऐसे छात्र बहुत ही प्रतिभाशाली और मेहनती होते हैं। वे अपने सपनों को पूरा करने के लिए बड़े उत्साह के साथ विश्वविद्यालय आते हैं। कई बार ये ‘हीन ग्रंथि’ के शिकार हो जाते हैं। किसी भी संवेदनशील समाज में ऐसा नहीं होना चाहिए। ऐसी पहली पीढ़ी के विश्वविद्यालय के छात्रों को प्रेरित करना शिक्षकों और अन्य छात्रों की उत्तरदायित्व है।

राष्ट्रपति ने कहा कि हमें कुछ मूलभूत मुद्दों पर ध्यान देना चाहिए जैसे छात्राओं के लिए स्वच्छ शौचालय की आवश्यकता, विश्व स्तरीय प्रयोगशालाएं, वास्तविक गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और दिव्यांगजनों की आवश्यकताएं।

राष्ट्रपति ने कहा कि विकास और सभ्यता की उपभोक्तावादी अवधारणा के कारण प्रदूषण, जलवायु परिवर्तन और जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों की चुनौतियां और अधिक विकराल रूप धारण कर रही हैं। हमारी पिछली पीढ़ियों ने कई अच्छे काम किए हैं लेकिन उन्होंने कुछ गलतियां भी की हैं। उन्होंने युवा पीढ़ी से अच्छी चीजों को आगे बढ़ाने और गलतियों को दूर करने का आग्रह किया।

राष्ट्रपति ने कहा कि शिक्षा का मुख्य उद्देश्य एक उत्कृष्ट इंसान बनाना है। जीवन में बड़ा होना अच्छी बात है लेकिन एक अच्छा इंसान बनना कहीं बेहतर है। मंगल ग्रह पर जीवन की खोज करना अच्छी बात है, लेकिन अच्छी सोच के साथ जीवन में खुशहाली की खोज करना और भी महत्वपूर्ण है। उन्होंने छात्रों से नए भारत और नये विश्व के निर्माण के लिए नए सपने देखने और बड़े सपने देखने का अनुरोध किया।

इस वर्ष दिल्ली विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में भारत की राष्ट्रपति बतौर मुख्य अतिथि और केंद्रीय शिक्षा मंत्री सम्मानित अतिथि के तौर पर पर शामिल थे। दिल्ली विश्वविद्यालय के नियमित छात्रों को यूजी, पीजी, लॉ और मेडिकल की डिग्रियां प्रदान की।

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