सहारनपुर। लघु उद्योग भारती द्वारा आयोजित कार्यशाला में आज फाइनेंशियल ईयर 2023-24 से आयकर अधिनियम में संशोधन करके धारा 43 बी (एच) लागू करने पर चर्चा की गयी, जिसमें कानून के सम्बध में चार्टर्ड एकाउंटेंट्स ने उद्यमियों को मार्ग दर्शन कर बताया कि कानून से एमएसएमई उद्वमियों को नुक्सान होगा। इसलिए इस कानून को शिथिल किए जाने की मांग भी की गई।
कोर्ट रोड स्थित लघु उद्योग भारती के जिला कार्यालय पर आयोजित कार्यशाला में वक्ताआंे ने कहा कि सरकार द्वारा एमएसएमई को त्वरित भुगतान को बढ़ावा देने के लिए इस फाइनेंशियल ईयर 2023-24 से आयकर अधिनियम में संशोधन करके धारा 43 बी (एच) लागू की है, जिसके अनुसार खरीददार को एमएसएमई आपूर्ति कर्ता को आपूर्ति की गई वस्तु की पेमेंट करने के लिए 15 दिन से अधिकतम 45 दिन की समय सीमा प्रदान की गई है।
अगर कोई खरीदार एमएसएमई आपूर्तिकर्ता को अधिकतम 45 दिन की समय सीमा के अंतर्गत भुगतान नहीं करता है तो उसे इसका आयकर में खर्चों में लाभ नहीं मिलेगा और यह अमाउंट उसकी इनकम में जोड़कर उससे इस पर टैक्स लिया जाएगा। चार्टर्ड एकाउंटेंट्स सीए मुकेश गोयल, सीए सचिन जैन, सीए राघव ने विस्तार से सदस्यों को इस क़ानून के बारे जानकारी प्रदान की।
सदस्यों से विचार विमर्श के बाद इस निष्कर्ष पर पहुंचा गया कि इस क़ानून से ज़्यादातर लघु उद्यमियो को व्यापार में नुक़सान होगा क्योकि ज़्यादातर लघु ऊधमियो का आपूर्ति कर्ताओं के साथ आपसी समझ से पेमेंट का सिस्टम बना हुआ है और इस प्रावधान के कारण बहुत से ख़रीददार अब एमएसएमई लघु उद्यमियो के बजाय ट्रेडर्स से समान ख़रीदने को प्राथमिकता देने लगे है जिससे ज़्यादातर लघु उद्यमियो को नुक़सान होगा।
अत लघु उधोग भारती के मंडल अध्यक्ष अनुपम गुप्ता ने कहा कि लघु उद्योग भारती की मांग है कि फ़िलहाल इस क़ानून को एक साल के लिये शिथिल किया जाये और लागू ना किया जाये। अगर सरकार को इस क़ानून को लागू ही करना चाहती है तो लघु उद्यमीयो से विचार विमर्श करके उनके सुझावों के अनुसार ही लागू करे। कार्यशाला में लघु उधोग भारती के ज़िलाध्यक्ष वरुण अग्रवाल एवं वरिष्ठ उद्यमी आदेश मित्तल आदि मौजूद रहे।