एवोल्यूशन एण्ड ह्यूमैन नामक जर्नल में प्रकाशित रिपोर्ट से जो दो बातें सामने आईं वे हैं- कोई पुरुष यदि महिला को हंसाने में सफल होता है तो वह उसके प्रति आसानी से आकर्षित होती है। मतलब महिलाओं के लिए हास्य बोध का अच्छा होना काफी मीनिंगफुल रहता है।
इसका अर्थ हुआ कि हास्य सबकी (विशेषकर महिलाओं की) पहली पसंद है। पुरुष का हास्य रूपी हथियार काफी कारगर होता है, क्योंकि हास्य चाहत पैदा करता है। हास्य रिश्ते बनाता है। शोध से जो दूसरी बात सामने आई, उसके अनुसार हास्य बोध वाले पुरुष समाज में आसानी से स्वीकार्य होते हैं। किंतु लोग उन पर कम ही विश्वास करते हैं। शोधकर्ता इसी बात को यूं भी कहते हैं कि ईमानदार और विद्वान लोग किसी हंसोडा या मजाकिया व्यक्ति को गंभीरता से नहीं लेेते। उनकी नहीं मानते।
मेसाट्यूएट्न स्थित वेस्टफील्ड स्टेट कॉलेज के एरिक ब्रेसलर का कथन है- हमारे शोध के परिणामों के अनुसार महिला-पुरुष के संबंधों पर हंसी का सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। ऐसा तभी होता है, जब पुरूष कोई हंसा देने वाली बात करता है। शोधकर्ता बेरूलर तथा सिगल बालशिवे ने अपने अध्ययन में यह भी कहा- हमने कनाड़ा में किए एक प्रयोग से इस बात की पुष्टि कर ली है।
इस प्रयोग में हमने महिलाओं को दो समान आकर्षण वाले पुरुषों के चित्रों के साथ उनके विषय में यह बताया कि इनमें से कौन गंभीर है तथा कौन हंसमुख। उनसे पूछा गया कि वे किसे जीवनसाथी बनाना चाहेंगी। उन्होंने हंसमुख को ही साथी के रूप में चुनने की बात कही।
सुदर्शन भाटिया – विभूति फीचर्स