नयी दिल्ली। सरकार ने साेमवार को संसद में कहा कि उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजनाओं के कारण विनिर्माण उत्पादन में सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग क्षेत्र (एमएसएमई) की हिस्सेदारी 35़ 4 प्रतिशत हो गयी है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारामण ने संसद में पेश वित्त वर्ष 2023-24 के आर्थिक सर्वेक्षण में कहा कि एक जिला एक उत्पाद को बढ़ावा देने के लिए राज्यों को यूनिटी मॉल स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था में एमएसएमई के उत्पादन की हिस्सेदारी 35.4 प्रतिशत हो गयी है।
सर्वेक्षण के अनुसार प्रति कर्मचारी सकल मूल्य वर्धित 1,38,207 रुपए से बढ़कर 1,41,769 रुपए हो गया और प्रति प्रतिष्ठान सकल उत्पादन मूल्य 3,98,304 से बढ़कर 4,63,389 रुपए हो गया, जो उत्पादकता और श्रम दक्षता में वृद्धि दर्शाता है। उद्यम पंजीकरण पोर्टल पर पांच जुलाई तक 4.69 करोड़ पंजीकरण किए गये हैं।
सर्वेक्षण में कहा गया है कि वित्त वर्ष 2019-20 से वित्त वर्ष 2023-24 के बीच एमएसएमई के लिए गारंटी की राशि और संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, जिसमें केंद्रीय बजट 2023-24 में क्रेडिट गारंटी फंड ट्रस्ट को 9,000 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं।
सर्वेक्षण के अनुसार, विनिर्माण क्षमताओं और निर्यात को बढ़ाने के लिए 1.97 लाख करोड़ रुपए के परिव्यय के साथ 14 प्रमुख क्षेत्रों के लिए उत्पादन से जुड़े प्रोत्साहन (पीएलआई) योजनाओं की घोषणा की गई। मई 2024 तक 1.28 लाख करोड़ रुपए से अधिक का निवेश किया गया, जिससे 10.8 लाख करोड़ रुपए का उत्पादन, बिक्री और 8.5 लाख से अधिक रोजगार सृजन (प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष) हुआ। बड़े पैमाने पर इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण, फार्मास्यूटिकल्स, खाद्य प्रसंस्करण और दूरसंचार और नेटवर्किंग उत्पादों जैसे क्षेत्रों से महत्वपूर्ण योगदान के साथ निर्यात में चार लाख करोड़ रुपए की वृद्धि हुई है।
श्रीमती सीतारमण ने कहा कि एमएसएमई के लिए ऋण अंतर को पाटना एक महत्वपूर्ण चुनौती बनी हुई है। इसके अलावा विनियमन, भौतिक और डिजिटल कनेक्टिविटी को बढ़ाने और एक निर्यात रणनीति लागू करने पर भी जाेर दिया जाना चाहिए। सर्वेक्षण में कहा गया है कि इस क्षेत्र को व्यापक विनियमन और अनुपालन आवश्यकताओं का सामना करना पड़ रहा है और किफायती और समय पर वित्तपोषण तक पहुँच के साथ कई बाधाओं का सामना करना पड़ रहा है।