Wednesday, April 23, 2025

शिक्षकों ने कहा -सरकार कॉलेजों का बकाया फंड करे जारी, नहीं तो करेंगे आंदोलन

नई दिल्ली| दिल्ली विश्वविद्यालय के शिक्षकों के मुताबिक डीयू के 12 अलग-अलग कॉलेजों में फंड कटौती होती है। फंड की कटौती के कारण शिक्षकों को समय पर वेतन नहीं मिल पा रहा है। शिक्षा संगठन फोरम ऑफ एकेडेमिक्स फॉर सोशल जस्टिस का कहना है कि यह सभी 12 कॉलेज दिल्ली सरकार द्वारा पूर्ण वित्त पोषित हैं। इन कॉलेजों के शिक्षकों व कर्मचारियों को जहां हर महीने समय पर वेतन नहीं मिल रहा है, वहीं लंबे समय से इनमें स्थाई नियुक्तियां व पदोन्नतियां भी नहीं की जा सकी हैं। इनमें से सात कॉलेजों में प्रिंसिपल पदों पर स्थायी नियुक्ति की जानी है। दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर हंसराज सुमन ने बताया कि इससे पहले किसी दिल्ली के इन कॉलेजों में ऐसा संकट देखने को नहीं मिला था, जैसा कि अब देखने को मिल रहा है। इसलिए अव्यवस्था और आर्थिक संकट से जूझ रहे दिल्ली सरकार के पूर्ण वित्त पोषित कॉलेजों को तुरंत दिल्ली विश्वविद्यालय को अपने अधीन ले लेना चाहिए।

फोरम के चेयरमैन डॉ. हंसराज सुमन ने बताया कि दिल्ली में 20 नए कॉलेज खोले जाने की बात थी, लेकिन पिछले नौ वर्षों में एक भी नया कॉलेज नहीं खोला गया। पूर्ण वित्त पोषित कॉलेजो में भी फंड की कमी होने लगी है। 16 दिसम्बर 2022 से पूर्व कॉलेजों की प्रबंध समितियों में आम आदमी पार्टी के ही चेयरमैन व कोषाध्यक्ष थे बावजूद इसके शिक्षकों का रोस्टर तक पास नहीं करा सकें।

हालांकि दिल्ली सरकार द्वारा वित्त पोषित कई कॉलेजों में स्थाई प्रिंसिपल ओं की नियुक्ति प्रक्रिया शुरू हुई है। इसके अलावा शहीद भगतसिंह कॉलेज, दिल्ली कॉलेज ऑफ आर्ट्स एंड कॉमर्स व स्वामी श्रद्धानंद कॉलेज आदि में शिक्षकों की स्थायी नियुक्ति प्रक्रिया शुरू हो गई है। डॉ.सुमन का कहना है कि दिल्ली सरकार के पूर्ण वित्त पोषित 12 कॉलेजों में कई बार शिक्षकों व अन्य कर्मचारियों का वेतन, भत्ता, बकाया, चिकित्सा बिल, एलटीसी बिल आदि का भुगतान भी समय पर नहीं किया गया है।

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अब फोरम ने मांग की है कि पूर्ण वित्त पोषित 12 कॉलेजों के लिए दिल्ली सरकार 100 करोड़ रुपये की राशि तत्काल प्रभाव से जारी करे जिससे कि वेतन, भत्ते, 7वें वेतन आयोग में पदोन्नति की लंबित बकाया राशि, चिकित्सा बिल, बच्चों के शिक्षा भत्ते आदि बकाया राशि का भुगतान किया जा सके।

फोरम ने दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति से मांग की है कि दिल्ली सरकार के कॉलेजों में बनने वाली प्रबन्ध समिति के सदस्यों की सूची कार्यकारी परिषद ( ईसी ) में पास न करे बल्कि इन कॉलेजों को दिल्ली विश्वविद्यालय सीधे अपने अधीन लेने की प्रक्रिया आरंभ करें।

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