Friday, September 20, 2024

धर्मांतरण मामले में मौलाना कलीम सहित 14 दोषी करार,लखनऊ की NIA कोर्ट कल सुनाएगी सजा

लखनऊ। अवैध धर्मांतरण मामले में मौलाना उमर गौतम, मौलाना कलीम सिद्दीकी समेत 14 आरोपी दोषी पाए गए है। एनआईए और एटीएस की विशेष अदालत ने भारतीय दंड संहिता की कई धाराओं और अवैध धर्मांतरण कानून की धाराओं के तहत इन्हें दोषी ठहराया है। इस मामले में एक आरोपी इदरीस कुरैशी को हाईकोर्ट से स्टे मिला हुआ है। एनआईए-एटीएस स्पेशल कोर्ट ने आईपीसी की धारा 417, 120b, 153a, 153b, 295a, 121a, 123 व अवैध धर्मांतरण की धारा 3, 4, व 5 के तहत दोषी पाया।  एनआईए-एटीएस स्पेशल कोर्ट के जज विवेकानंद शरण त्रिपाठी बुधवार को इस मामले में सजा सुनाएंगे। आरोपियों को दोषी पाए जाने वाली धाराओं में 10 साल से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा का प्रावधान है।

सरकारी वकील एमके सिंह ने बताया इस गिरोह ने आर्थिक रूप से कमजोर, दिव्यांग विशेषकर मूकबधिर लोगों को निशाना बनाया और उन्हें बलपूर्वक या नाजायज दबाव डालकर धर्म परिवर्तन के लिए मजबूर किया। साथ ही, धर्मांतरित व्यक्ति के माध्यम से उसके मूल धर्म के अन्य लोगों को भी धर्मांतरित कराने की कोशिश की जा रही थी।

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इसके अलावा, धर्मांतरित लोगों को उनके मूल धर्म में वापस न जाने देने और उन्हें देश विरोधी गतिविधियों में शामिल करने के लिए वर्कशॉप और ट्रेनिंग दी जा रही थी। इस प्रकार के कृत्य से विभिन्न धर्मों के बीच वैमनस्यता और कटुता का वातावरण पैदा हो रहा था, जो सामाजिक सौहार्द और शांति के लिए बड़ा खतरा हो सकता है।

इस तरह के षड्यंत्र से न केवल धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन होता है, बल्कि समाज में अस्थिरता और असंतुलन भी पैदा होता है। अदालत में इसका सही तरह से निपटारा होना और इस तरह की गतिविधियों पर सख्त कार्रवाई की जानी अत्यंत आवश्यक है।

इस मामले में आरोपियों पर गंभीर आरोप लगाए गए हैं, जिसमें कहा गया है कि उन्होंने एक संगठित सिंडिकेट बनाया, जिसका उद्देश्य बड़े पैमाने पर धर्म परिवर्तन कराना था। आरोप है कि उन्होंने लोगों को भ्रमित कर, उन्हें उनके मूल धर्म के प्रति भय, घृणा और विद्वेष पैदा कर धर्म परिवर्तन के लिए प्रेरित किया। इसके परिणामस्वरूप समाज में भाईचारे और बंधुता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा, जो देश की एकता और अखंडता को कमजोर करता है।

इस्लामिक दवाह सेंटर और डेफ सोसायटी जैसे संगठनों को केंद्र बनाकर आरोपियों ने पूरे देश में एक नेटवर्क फैलाया, जिसमें अंतरराष्ट्रीय सहयोगियों से हवाला के माध्यम से धन की आपूर्ति की गई। जांच के दौरान उनके पास से पासपोर्ट, मोहर, साहित्य, धर्म परिवर्तन के बाद बदले हुए नामों की सूची, मोबाइल फोन, पहचान पत्र, मैरिज सर्टिफिकेट, और कंवर्जन रजिस्टर बरामद किए गए थे, जो उनके अवैध गतिविधियों में संलिप्तता की पुष्टि करते हैं।

इस मामले में एक आरोपी इदरीस कुरैशी को हाईकोर्ट से स्टे मिला है, और विशेष अदालत के जज विवेकानंद शरण त्रिपाठी कल सज़ा सुनाएंगे।

 

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