जौनपुर। लोकसभा चुनाव के दौरान मड़ियाहूं में बिना अनुमति रैली निकालने एवं नारेबाजी कर आचार संहिता का उल्लंघन करने के मामले में सांसद प्रिया सरोज ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी। हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति ने प्रिया सरोज को राहत देते हुए अगली सुनवाई तक उत्पीड़नात्मक कार्रवाई पर रोक लगा दी है। मामला एसीजेएम प्रथम की न्यायालय में विचाराधीन है। पुलिस द्वारा कोर्ट में चार्जशीट दाखिल करने के बाद कोर्ट ने सांसद के खिलाफ प्रोसेस जारी किया था, जिसके खिलाफ वह हाईकोर्ट गई थीं।
मड़ियाहूं के उप संभागीय कृषि प्रसार अधिकारी गिरजा शंकर ने मड़ियाहूं थाने में सांसद प्रिया सरोज एवं 100 से 125 अज्ञात लोगों के खिलाफ 16 अप्रैल 2024 को एफआईआर दर्ज कराया था कि वह लोकसभा सामान्य निर्वाचन 2024 में गठित टीम के मजिस्ट्रेट थे। 16 अप्रैल 2024 को 12:00 बजे लोकसभा से घोषित सपा उम्मीदवार प्रिया सरोज पुत्री तूफानी सरोज द्वारा क्षेत्र भ्रमण के दौरान मड़ियाहूं कस्बा स्थित गांधी तिराहे पर 100 से 125 समर्थकों के साथ बिना किसी अनुमति के रैली निकाला गया, जिसमें बाजा एवं नारेबाजी कार्यकर्ताओं द्वारा किया गया जो आचार संहिता के उल्लंघन की श्रेणी में आता है। पुलिस ने चार दिन में ही विवेचना कर आरोप पत्र न्यायालय में दाखिल कर दिया।
इस मामले में गुरुवार को बात करते हुए शासकीय अधिवक्ता जेडी यादव ने बताया कि कोर्ट ने मामले का संज्ञान लेकर आरोपितों के खिलाफ प्राेसेस जारी किया। आदेश के खिलाफ प्रिया सरोज ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की। उनके अधिवक्ता ने तर्क दिया कि पुलिस ने 100 से 125 अज्ञात लोगों का एफआईआर में जिक्र किया है लेकिन 10 लोगों का बयान दर्ज कर चार दिन के भीतर ही आरोप पत्र न्यायालय में दाखिल कर दिया। मामला आईपीसी की धारा 188 से संबंधित है। धारा 195 सीआरपीसी के तहत मंजूरी के बिना कोर्ट द्वारा संज्ञान लेने पर रोक है। कार्रवाई दुर्भावना से की गई है और कानूनी रोक भी है। आवेदक का कोई आपराधिक इतिहास भी नहीं है। हाई कोर्ट ने विपक्षी स्टेट आफ यूपी को नोटिस जारी करते हुए सांसद पर उत्पीड़नात्मक कार्रवाई पर रोक लगा दिया।