Sunday, December 22, 2024

दिवाली से पहले SBI ने दी ग्राहकों को राहत, MCLR में की कटौती

नई दिल्ली। भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने अपने ग्राहकों को ऋण दरों में थोड़ी राहत दी है। 15 अक्टूबर से 15 नवंबर, 2024 तक एसबीआई ने अपनी धन आधारित उधार दर (एमसीएलआर) में संशोधन किया है। एक एमसीएलआर अवधि के लिए ब्याज दर में 25 आधार अंकों (बीपीएस) की कटौती की गई है, जबकि अन्य अवधि की दरों में कोई बदलाव नहीं किया गया है।

इस कटौती के बाद, एसबीआई की संशोधित एमसीएलआर दरें 8.20% से 9.1% के दायरे में होंगी। यह दरें 15 अक्टूबर 2024 से लागू होंगी। एमसीएलआर में इस तरह की कटौती से उधारकर्ताओं को थोड़ी राहत मिलेगी, खासकर जिनके ऋण एमसीएलआर पर आधारित हैं, क्योंकि उनकी ब्याज दरें अब कम होंगी।

यह कदम बैंक द्वारा ग्राहकों को ब्याज दरों में राहत देने और ऋण लेने को और सस्ता बनाने के उद्देश्य से उठाया गया है।

 

भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने 15 अक्टूबर 2024 से अपने एमसीएलआर में बदलाव किया है, जिसमें एक महीने की अवधि के लिए एमसीएलआर दर में 25 आधार अंकों (बीपीएस) की गिरावट की गई है।

नए एमसीएलआर दरें इस प्रकार हैं:

  • ओवरनाइट एमसीएलआर: 8.20%
  • एक महीने का एमसीएलआर: 8.45% से घटाकर 8.20%
  • छह महीने का एमसीएलआर: 8.85%
  • एक साल का एमसीएलआर: 8.95%
  • दो साल का एमसीएलआर: 9.05%
  • तीन साल का एमसीएलआर: 9.1%

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा हाल ही में की गई मौद्रिक नीति समीक्षा में रेपो दर को लगातार दसवीं बार 6.5% पर बरकरार रखा गया। इसका मतलब है कि रेपो दर पर आधारित ऋणों की ईएमआई में बदलाव की संभावना कम है। हालांकि, एमसीएलआर आधारित ऋणों पर ब्याज दर में बदलाव हो सकता है, जिससे कुछ उधारकर्ताओं को फायदा होगा।

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की मौद्रिक नीति समिति (MPC) ने हाल ही में अर्थव्यवस्था में आई सुस्ती के कुछ संकेतों के बीच अपने उदार (accommodative) रुख को बदलकर तटस्थ (neutral) कर दिया है। यह बदलाव जून 2019 के बाद पहली बार हुआ है। इस रुख में बदलाव का मतलब है कि भविष्य में मौद्रिक नीति को लेकर समिति की स्थिति न तो विशेष रूप से कठोर होगी और न ही विशेष रूप से नरम। हालांकि, नीतिगत दर (रेपो दर) में आखिरी बदलाव फरवरी 2023 में किया गया था, तब से यह 6.5% पर स्थिर है।

 

 

एमसीएलआर (मार्जिनल कॉस्ट ऑफ फंड्स बेस्ड लेंडिंग रेट) वह दर है जिस पर किसी बैंक द्वारा दी जाने वाली सबसे कम उधारी दर होती है। इसे बैंकों की उधारी की सीमांत लागत के आधार पर निर्धारित किया जाता है। एमसीएलआर का उद्देश्य उधार दरों को अधिक पारदर्शी और बाजार से जुड़े रखना है ताकि बैंकों की वित्तीय लागत में होने वाले बदलावों को ग्राहकों तक सीधे पहुंचाया जा सके।

भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने 15 सितंबर, 2024 से अपनी विभिन्न उधारी दरों में संशोधन किया है। निम्नलिखित दरें लागू हैं:

  1. बेस रेट: 10.40% (15 सितंबर, 2024 से प्रभावी)
  2. बेंचमार्क प्राइम लेंडिंग रेट (बीपीएलआर): 15.15% प्रति वर्ष (15 सितंबर, 2024 से संशोधित)
  3. एक्सटर्नल बेंचमार्क लेंडिंग रेट (ईबीएलआर): 9.15% (एसबीआई होम लोन के लिए बाहरी बेंचमार्क दर)

 

बेस रेट बैंक की न्यूनतम उधारी दर होती है, जिस पर बैंक अपने ग्राहकों को ऋण देता है, और इसका सीधा संबंध बैंकों की फंड की लागत से होता है। बीपीएलआर वह दर है जिसका उपयोग बैंक अपने पुराने उधारकर्ताओं के लिए करते हैं, जो एमसीएलआर से पहले के समय में उधार लिए थे।

 

ईबीएलआर, जो 9.15% है, बाहरी बेंचमार्क पर आधारित है और यह दर आमतौर पर रेपो दर जैसी बाहरी दरों से जुड़ी होती है। इस दर का उपयोग विशेष रूप से होम लोन जैसे ऋण उत्पादों के लिए किया जाता है, जिससे उधारकर्ताओं को पारदर्शिता और बाजार की बदलती स्थिति के अनुसार ब्याज दर में बदलाव का लाभ मिलता है।

 

भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने चालू वित्त वर्ष में देश भर में 600 नई शाखाएं खोलने की योजना बनाई है, जिससे उसका नेटवर्क और मजबूत होगा। मार्च 2024 तक एसबीआई के पास पहले से ही देश भर में 22,542 शाखाओं का एक व्यापक नेटवर्क था। इस विशाल शाखा नेटवर्क के अलावा, एसबीआई अपने ग्राहकों को सेवाएं प्रदान करने के लिए 65,000 एटीएम और 85,000 बैंक प्रतिनिधि (बिजनेस कॉरेस्पोंडेंट) का उपयोग करता है।

 

 

एसबीआई लगभग 50 करोड़ ग्राहकों की सेवा करता है, जो इसे भारत का सबसे बड़ा बैंक बनाता है। यह बैंकिंग सेवाओं तक पहुंच को और सरल और सुविधाजनक बनाने के लिए लगातार अपने नेटवर्क का विस्तार कर रहा है, जिससे देश के कोने-कोने तक बैंकिंग सेवाएं उपलब्ध हो सकें।

 

भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम) क्षेत्र को वित्तीय सहायता प्रदान करने के उद्देश्य से अपनी तत्काल ऋण योजना के तहत कर्ज सीमा को मौजूदा पांच करोड़ रुपये से बढ़ाने की योजना बना रहा है। यह कदम एमएसएमई क्षेत्र को और अधिक पूंजी उपलब्ध कराने के उद्देश्य से लिया जा रहा है, ताकि इस क्षेत्र की विकास आवश्यकताओं को पूरा किया जा सके।

एसबीआई की ‘एमएसएमई सहज’ योजना, जो ‘डिजिटल इनवॉयस’ वित्त पोषण पर आधारित है, एमएसएमई उद्यमों को बिना किसी मानवीय हस्तक्षेप के 15 मिनट के भीतर ऋण आवेदन प्रक्रिया को पूरा करने की सुविधा प्रदान करती है। इस योजना के तहत एमएसएमई व्यवसायी ऋण के लिए आवेदन कर सकते हैं, आवश्यक दस्तावेज जमा कर सकते हैं, और ऋण स्वीकृति प्राप्त कर सकते हैं, जिससे यह प्रक्रिया तेज और सरल हो जाती है।

पिछले साल, एसबीआई ने पांच करोड़ रुपये तक की ऋण सीमा के लिए एक डेटा आधारित मूल्यांकन प्रणाली शुरू की थी, जो इस क्षेत्र को तेजी से और पर्याप्त वित्तीय समर्थन सुनिश्चित करने की दिशा में एक बड़ा कदम है।

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