Thursday, November 21, 2024

लखनऊ विकास प्राधिकरण के दो बाबू बर्खास्त, दोनों ही बाबू पहले ही हो चुके है सस्पेंड !

लखनऊ। लखनऊ विकास प्राधिकरण के निलम्बित बाबुओं अजय वर्मा एवं मुसाफिर सिंह को शुक्रवार को बर्खास्त कर दिया गया। विभागीय जांच में दोषी पाये जाने पर प्राधिकरण के उपाध्यक्ष डाॅ इन्द्रमणि त्रिपाठी ने कठोर कार्रवाई करते हुए दोनों की बर्खास्तगी के आदेश जारी कर दिये।

अपर सचिव ज्ञानेन्द्र वर्मा ने बाबू की बर्खास्तगी की सूचना आम करते हुए बताया कि विभागीय जांच में दोषी पाये जाने पर कनिष्ठ लिपिक अजय वर्मा (निलम्बित) एवं कनिष्ठ लिपिक मुसाफिर सिंह (निलम्बित) को बर्खास्त कर दिया गया है। इसके बाद दोनों बाबू के एलडीए आने जाने पर भी रोक रहेगी।

अपर सचिव ज्ञानेंद्र वर्मा ने बताया कि प्राधिकरण में कनिष्ठ लिपिक के पद पर तैनात अजय वर्मा पर गोमती नगर के वास्तुखंड स्थित भवन संख्या-3/710 के निरस्तीकरण की सूचना न देने तथा उक्त भवन की पत्रावली चार्ज में न देने एवं परोक्ष रूप से अवैध कब्जेदारों को बढ़ावा देते हुए प्राधिकरण को आर्थिक नुकसान पहुंचाने के आरोप लगे थे। जिस पर उसे निलंबित किया गया था।

इसके बाद अजय वर्मा पर गोमती नगर के वास्तुखंड में स्थित अलग-अलग भूखंडों एवं भवनों के संदर्भ में अन्य व्यक्तियों का नाम बिना अनुमति के कम्प्यूटर पर मृतक लोगों की आईडी का प्रयोग करके अंकित कराने के आरोप लगे। जिस पर उसके खिलाफ एफआईआर भी दर्ज कराई गई। उक्त आरोपों की जांच के दौरान आरोपी बाबू अपने तैनाती स्थल से गायब हो गया तथा मोबाइल नंबर भी स्विच ऑफ कर लिया।

इसके अतिरिक्त प्राधिकरण के विधि अनुभाग में कनिष्ठ लिपिक पद पर कार्यरत मुसाफिर सिंह द्वारा एक भूखंड का समायोजन कराकर रजिस्ट्री कराने के नाम पर बैजनाथ से 55 लाख रुपये व उसके साथी राकेश चंद्र से 45 लाख रुपये अनैतिक रूप से लिये गये थे, लेकिन एक वर्ष का समय बीत जाने के बाद भी मुसाफिर सिंह द्वारा जमीन का समायोजन नहीं कराया गया।

बैजनाथ एवं राकेश चंद्र द्वारा अपना पैसा वापस मांगने पर मुसाफिर सिंह ने इनकार कर दिया। मुसाफिर द्वारा किये गये इस कृत्य से हुयी मानसिक व आर्थिक परेशानी के चलते बैजनाथ ने चारबाग रेलवे स्टेशन पर ट्रेन के सामने कूदकर आत्महत्या कर ली, जिस पर मुसाफिर सिंह के खिलाफ जीआरपी थाने में मुकदमा दर्ज किया गया, जिसमें पुलिस ने उसे गिरफ्तार करके जेल भेजा था। उक्त प्रकरण में कनिष्ठ लिपिक मुसाफिर सिंह को निलंबित करते हुए विभागीय जांच प्रचलित की गयी थी।

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