गाजियाबाद। सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने सिंहराज जाटव को टिकट देकर जो दलित कार्ड चला, वह कारगर साबित नहीं हुआ। सपा की मंशा दलित-मुस्लिम समीकरण बनाने की लग रही थी लेकिन यह सफल नहीं हो सकी। सदर सीट पर दलित और मुस्लिम वोटरों की संख्या मिलाकर एक लाख से ज्यादा है। इनके अलावा यादव भी हैं। सपा का कांग्रेस से गठबंधन भी है। इसके बावजूद सपा को वोट 28 हजार से कम मिले हैं।
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यह लगातार दूसरी बार है जब अखिलेश यादव का दलित कार्ड चल नहीं पाया है। इससे पहले उन्होंने 2022 में भी विशाल वर्मा को टिकट दिया था। तब भाजपा के अतुल गर्ग ने विशाल वर्मा को एक लाख से ज्यादा वोटों से हराया था। अतुल गर्ग को 1,50,205 और विशाल वर्मा को 44,668 वोट मिले थे। सिंहराज को विशाल से भी कम वोट मिले हैं।
सिंहराज जाटव लाइनपार क्षेत्र के निवासी हैं और लंबे समय बसपा में अहम पदों पर रहे हैं। इसलिए, सपा नेताओं को लग रहा था कि वह लाइनपार में सबसे आगे रहेंगे और दलित वोटों को अपनी ओर कर पाएंगे लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ।
सपा की हार की एक और वजह चुनाव के लिए पहले से तैयारी न करना भी रही। उप चुनाव के लिए सपा-कांग्रेस गठबंधन में ऐन वक्त तक तैयारी कांग्रेस कर रही थी। कांग्रेस से 10 से ज्यादा टिकट दावेदार थे। माना जा रहा था कि सदर सीट से कांग्रेस ही लड़ेगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ। नामांकन शुरू होने से ठीक पहले तय हुआ कि सपा लड़ेगी। इसके बाद कांग्रेस और सपा के संगठन में तालमेल नहीं बन पाया।
भाजपा के मुकाबले सपा चुनाव प्रचार में पिछड़ गई थी। जहां सीएम योगी भाजपा के लिए वोट मांगने चार बार आए, वहीं सपा से अखिलेश यादव सिर्फ एक बार आए। अखिलेश ने कार्यकर्ताओं के साथ बैठक की, कोई जनसभा नहीं की। कांग्रेस से कोई बड़ा नेता सपा के लिए नहीं आया। लोकसभा चुनाव के दौरान अखिलेश और राहुल गांधी एक साथ गाजियाबाद आए थे लेकिन इस बार यह जोड़ी साथ नजर नहीं आई।