नई दिल्ली। मुख्यमंत्री आतिशी का कहना है कि दिल्ली सरकार अपने बजट का 25 प्रतिशत से अधिक शिक्षा पर खर्च कर रही है। बीते साल सरकारी स्कूल के 2,000 से अधिक छात्रों ने जेईई और नीट पास किया। यह आंकड़ा निजी स्कूलों के बराबर या उससे भी बेहतर है। उन्होंने शुक्रवार को आईपी यूनिवर्सिटी के सिल्वर जुबली समारोह के समापन में यह बातें कही। आतिशी ने कहा, “अधिकांश प्रमुख अंतरराष्ट्रीय कंपनियों के सीईओ या शीर्ष रैंक वाले अधिकारी भारतीय हैं। भारतीय दुनिया भर में जीवन के सभी क्षेत्रों में सफल हैं। शिक्षा उन सभी देशों के लिए शीर्ष प्राथमिकता रही है, जो विकसित राष्ट्र की श्रेणी में आते हैं। एक विकसित राष्ट्र बनने के लिए भारत को शिक्षा को प्राथमिकता देनी होगी।
“विश्वविद्यालय के कुलपति पद्मश्री प्रो. महेश वर्मा ने बताया कि विश्वविद्यालय ने कश्मीरी गेट से एक मामूली शुरुआत की थी। अपने अस्तित्व के 25 वर्षों में अब विश्वविद्यालय ने 40 विषयों में 190 अकादमिक कार्यक्रमों, 11,000 प्रकाशनों, 1.13 लाख से अधिक छात्रों, 18 स्कूलों और 110 संबद्ध संस्थानों से अपना विस्तार किया है। छात्रों को 50,000 रुपए की सीड मनी प्रदान करने वाली बिजनेस ब्लास्टर्स योजना, विश्वविद्यालय द्वारा बनाए गए इंक्यूबेशन फंड के साथ सिंक्रनाइज़ करती है। यह अभी चल रहे 75 स्टार्टअप को आगे ले जाने में मदद कर रही है।
आतिशी ने इस दौरान कहा कि भारत को नंबर वन देश बनाना है तो शिक्षा को पहली प्राथमिकता देनी होगी, जो दिल्ली सरकार दे रही है। पहले दिल्ली के सरकारी स्कूल टीन शेड में चलते थे और छत भी टपकती थी। आज सरकारी स्कूल ऐसे बन गए हैं कि वो प्राइवेट स्कूलों को भी मात दे रहे हैं। पिछले सात साल से लगातार दिल्ली सरकार के स्कूल प्राइवेट स्कूलों से अच्छा रिजल्ट ला रहे हैं। देश के इतिहास में यह पहली बार हो रहा है। सीएम आतिशी ने कहा कि आईपी यूनिवर्सिटी की फैकल्टी, उनका रिसर्च और यहां के बच्चे न सिर्फ दिल्ली में बल्कि पूरे इंटरनेशनल फोरम में हमारे देश का नाम रोशन कर रहे हैं। आज यहां 190 एकेडमिक प्रोग्राम, 40 डिसिप्लिन में चल रहे हैं और आईपी यूनिवर्सिटी के तहत 90 हजार से ज्यादा बच्चे पढ़ रहे हैं। यह शायद पूरे देश की सबसे बड़ी यूनिवर्सिटी में से एक है।
आप कनाडा, यूएस, सिंगापुर के किसी भी बड़े अस्पताल में चले जाएं, वहां तकरीबन सभी विभागों के हेड ऑफ डॉक्टर्स भारतीय होंगे। उन्होंने कहा कि मुझे यह बताते हुए खुशी हो रही है कि 2014 में हमारी सरकार बनने से पहले दिल्ली के उच्च और तकनीकी शिक्षा विश्वविद्यालयों में उस समय मात्र 83,600 छात्र थे और दस साल की इस शिक्षा क्रांति के बाद आज 1 लाख 55 हजार छात्र दिल्ली सरकार के विश्वविद्यालयों में पढ़ रहे हैं और शानदार डिग्री प्राप्त कर रहे हैं। अब हमारे छात्र सिर्फ बीए, बीकॉम जैसी पारंपरिक डिग्री ही नहीं बल्कि रोबोटिक्स और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पढ़ रहे हैं, उद्यमशीलता में बीबीए कर रहे हैं।