मेरठ। रिटायर्ड शिक्षिका को नौ दिन डिजिटल अरेस्ट रखने के बाद उनके खाते से 9.21 लाख की रकम साइबर ठगों ने साफ कर दी। इस तरह के मामले शहर में बढ़ रहे हैं। ऐसे कई मामले हैं जो हाल में सामने आए। साइबर अपराधियों ने रिटायर्ड शिक्षिका को मनी लॉन्ड्रिंग केस में फंसाने का डर दिखाकर डिजिटल अरेस्ट करके नौ लाख से अधिक की रकम ठग ली।
साइबर ठग पढ़े लिखे लोगों को अपने भावनात्मक और फर्जी आधिकारिक जाल में फंसाकर उनकी कमाई को एक झटके में लूट रहे हैं। इस पूरी लूट का पक्ष यह है कि डिजिटल अरेस्ट का शिकार ज्यादातर वो हो रहे हैं, जो बुजुर्ग हैं और आमतौर पर कानून और व्यवस्था का सम्मान करते हैं। ये अभी भी मानते हैं कि नियम कायदे, सरकारी दस्तावेज और आधिकारिक संस्थाएं फर्जी नहीं हो सकतीं। दुर्भाग्य से इसी सकारात्मक सोच का नाजायज फायदा साइबर अपराधी धड़ल्ले से उठा रहे हैं।
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डिजिटल अरेस्ट करने के लिए एक फोन कॉल आएगा। जिसमें कॉलर बताएगा कि आपने अवैध सामान, ड्रग्स, नकली पासपोर्ट या अन्य प्रतिबंधित पार्सल भेजा या आपको यह मिला है यानी आपने रिसीव किया है। कई बार टारगेट करने के लिए यह फोन कॉल रिश्तेदारों या दोस्तों को भी जा सकती है। जिन्हें बताया जाएगा कि आपके दोस्त या आपके रिश्तेदार ऐसे अपराध में शामिल हैं। जैसे ही दोस्त या रिश्तेदार से यह सूचना मिलेगी, आप घबरा जायेंगे। एक बार टारगेट सेट करने के बाद अपराधी आपको स्काइप या किसी अन्य वीडियो कॉलिंग सिस्टम से संपर्क करेंगे। वो खुद को कानूनी अधिकारी, पुलिस या किसी जांच एजेंसी के अधिकारी के रूप में पेश करेंगे। सरकारी वर्दी में भी दिखेंगे। इसके बाद शुरू होता है डिजिटल अरेस्ट करने का खेल और फिर पूरी रकम खाते से साफ।