मेरठ। मेरठ की प्रीति पाल भी अर्जुन पुरस्कार के लिए चुनी गई हैं। पेरिस पैरालंपिक 2024 में भारतीय पैरा एथलीट प्रीति पाल ने इतिहास रचा था। उन्होंने प्रतियोगिता के दूसरे दिन 100 मीटर T35 स्पर्धा में कांस्य पदक जीतकर भारत को ट्रैक इवेंट में अपना पहला पैरालंपिक पदक दिलाया था। यह उपलब्धि विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि, ओलंपिक खेलों में भी कोई भारतीय एथलीट अब तक ट्रैक इवेंट में पदक हासिल नहीं कर पाया था।
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प्रीति पाल मेरठ में कसेरू बक्सर की रहने वाली हैं। उनके पिता अनिल कुमार डेयरी चलाते हैं। प्रीति का संघर्ष किसी प्रेरणा से कम नहीं है। प्रीति को कम उम्र में ही सेरेब्रल पाल्सी का पता चला था और उन्हें मेरठ में इसका इलाज कराने में काफी समस्याओं का सामना करना पड़ा था। हालांकि, इसके बावजूद दौड़ने के प्रति उनका जुनून कभी कम नहीं हुआ। इसके बाद प्रीति अपने इलाज के लिए दिल्ली पहुंचीं, जहां उन्होंने जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में कोच गजेंद्र सिंह के मार्गदर्शन में प्रशिक्षण लेना शुरू किया।
प्रीति का जीवन बदलने का अहम मोड़ तब आया जब उन्होंने 17 साल की उम्र में सोशल मीडिया पर पैरालंपिक खेलों की वीडियो देखीं। इन वीडियो से प्रेरित होकर उन्हें महसूस हुआ कि वह भी अपने सपनों को साकार कर सकती हैं। आर्थिक चुनौतियों के बावजूद, उन्होंने छोटी उम्र में ही स्टेडियम में अभ्यास शुरू किया। उनके जीवन में सबसे बड़ा बदलाव तब आया जब उनकी मुलाकात पैरालंपिक एथलीट फातिमा खातून से हुई। फातिमा ने न केवल प्रीति को पैरा एथलेटिक्स के बारे में जागरूक किया, बल्कि उन्हें इस क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित और मार्गदर्शन भी दिया। फातिमा के समर्थन से प्रीति ने 2018 में स्टेट पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप में हिस्सा लिया और इसके बाद कई राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भी अपनी जगह बनाई।