ढाका। अपदस्थ पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की यूनुस सरकार पर की गई सख्त टिप्पणी बांग्लादेश को रास नहीं आई है। ढाका ने नई दिल्ली से कहा है कि वह अपदस्थ पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को देश में रहते हुए ‘झूठी और मनगढ़ंत’ टिप्पणियां करने से रोके। अगस्त में हिंसक विरोध प्रदर्शनों के बाद हसीना को अपनी सत्ता छोड़नी पड़ी थी और वह भारत आ गई थीं।
मुजफ्फरनगर में चलती बस से गिरकर युवक की दर्दनाक मौत, परिवार में मचा कोहराम
हसीना ने बुधवार को एक ऑनलाइन संबोधन में उन्होंने अपने समर्थकों से बांग्लादेश में अंतरिम सरकार के खिलाफ खड़े होने का आह्वान किया और उस पर असंवैधानिक तरीके से सत्ता हथियाने का आरोप लगाया। हसीना के संबोधन से पहले ही हजारों प्रदर्शनकारियों ने उनके पिता और बांग्लादेश के संस्थापक नेता मुजीबुर रहमान के घर को ध्वस्त कर दिया और आग लगा दी। हसीना के भाषण के बाद भी हिंसा जारी रही।
मुजफ्फरनगर में तेज रफ्तार डीसीएम की टक्कर से बाइक सवार की मौत, परिवार में मचा कोहराम
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय ने ढाका में भारत के कार्यवाहक उच्चायुक्त को एक विरोध पत्र सौंपा, जिसमें उनकी टिप्पणियों पर ‘गहरी चिंता, निराशा और गंभीर आपत्ति’ व्यक्त की गई। मंत्रालय ने कहा, “मंत्रालय ने भारत से अनुरोध किया है कि वह आपसी सम्मान और समझ की भावना से उन्हें इस तरह के झूठे, मनगढ़ंत और भड़काऊ बयान देने से रोकने के लिए तुरंत उचित कदम उठाए।”
भारत ने शेख मुजीब के घर को जलाए जाने की कड़े शब्दों में निंदा की। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने रहमान के घर को नष्ट करने की निंदा करते हुए इसे ‘बर्बरतापूर्ण कृत्य’ बताया। उन्होंने कहा, “वे सभी लोग जो स्वतंत्रता संग्राम को महत्व देते हैं, जिसने बांग्ला पहचान और गौरव को पोषित किया, वे बांग्लादेश की राष्ट्रीय चेतना के लिए इस निवास के महत्व से अवगत हैं।” यह वही घर था, जहां रहमान ने 1971 में पाकिस्तान से बांग्लादेश की स्वतंत्रता की घोषणा की थी और 1975 में इसी घर के भीतर उनकी और उनके परिवार के अधिकांश सदस्यों की हत्या कर दी गई थी। हसीना ने इस इमारत को अपने पिता की विरासत को समर्पित एक संग्रहालय में बदल दिया।