Friday, February 14, 2025

गाजियाबाद में अब रेंट एग्रीमेंट की होगी रजिस्ट्री, कानूनी रूप से मान्य होंगी शर्तें

गाजियाबाद। प्रदेश में रेंट एग्रीमेंट की भी अब रजिस्ट्री होगी। रजिस्टर्ड एग्रीमेंट पर लिखी शर्तें ही कानूनी रूप से मान्य होंगी। इसका सबसे अधिक फायदा गाजियाबाद जैसे बड़े शहरों में रहने वालों को होगा। जहां पर करीब 40 फीसद आबादी किराए के मकानों और फ्लैटों में निवास करती है।

 

मुजफ्फरनगर-शामली को NCR से हटाओ, गन्ना मूल्य बढ़ाओ, इकरा हसन ने लोकसभा में शेर सुनाकर उठाई अपनी मांग

बार एसोसिएशन गाजियाबाद के सचिव दीपक शर्मा ने बताया अभी इसकी घोषणा की गई है। कैबिनेट में प्रस्ताव पास होने के बाद ही ये मान्य होगा। अधिवक्ता दीपक शर्मा ने कहा कि रजिस्टर्ड एग्रीमेंट पर लिखी शर्तें को ही कानूनी रूप से कोर्ट में माना जाएगा। उन्होंने बताया कि एग्रीमेंट की रजिस्ट्री होने पर कोर्ट में दावा भी केवल रजिस्टर्ड एग्रीमेंट पर ही चलेगा।

 

मुज़फ्फरनगर में हनी ट्रैप में फंसाया, मेरठ की एसओजी बनकर की 27 लाख की वसूली, मां-बेटी समेत 5 गिरफ्तार

संपत्ति की सुरक्षा और विवादों में आएगी कमी

रेंट एग्रीमेंट रजिस्ट्री होने से संपत्ति की सुरक्षा होने के साथ ही विवादों में भी कमी आएगी। खासबात ये है कि इसके लिए स्टाम्प शुल्क काफी कम रखा गया है। एक साल से अधिक  रेंट एग्रीमेंट पर कम से कम न्यूनतम स्टाम्प शुल्क 500 रुपये से अधिकतम 20 हजार रुपये तक होगा। अधिवक्ता दीपक शर्मा का कहना है कि रजिस्टर्ड एग्रीमेंट में लिखी शर्तें कानूनी रूप से मान्य होंगी। इसी पर कोर्ट में दावा किया जा सकेगा। उन्होंने बताया कि कानून बनने के बाद इससे मकान मालिक और किरायेदारी से जुड़े विवादों में कमी आएगी। वर्तमान में किराये और अवधि के हिसाब से स्टाम्प शुल्क तय होता है।
किरायेनामे को पंजीकृत कराने से मकान मालिक और किरायेदार दोनों का हित सुरक्षित होगा। पंजीकरण कराने के बाद एग्रीमेंट में लिखी शर्तों की कानूनी मान्यता होगी।

 

नया आयकर विधेयक गुरुवार को संसद में किया जा सकता है पेश, 64 साल पुराना अधिनियम में होगा बदलाव

उन्होंने बताया कि अभी रेंट एग्रीमेंट में स्टाम्प शुल्क अधिक होने के कारण बहुत कम लोग ही इसको कराते हैं। गाजियाबाद में अधिकांश लोग 100 रुपये के स्टाम्प पर किराया समझौता कर लेते हैं। लेकिन इसकी कोई कानूनी मान्यता नहीं होती है।

 

 

 

गाजियाबाद में घर, फ्लैट से लेकर दुकान और आफिस किराये पर लेने वालों की संख्या लाखों में है। गाजियाबाद में करीब 40 प्रतिशत आबादी इसी तरह के किराये के घर,फ्लैट या दुकानों को किराये पर लिया हुआ है। जिसको लेकर आए दिन थाने और कोर्ट में मकान मालिक और किरायेदार के विवादित मामले आते रहते हैं। गाजियाबाद की अदालतों में चल रहे मुकदमों में करीब 10 फीसदी मामले मकान मालिक और किरायेदार के विवादों के हैं।

- Advertisement -

Royal Bulletin के साथ जुड़ने के लिए अभी Like, Follow और Subscribe करें |

 

Related Articles

STAY CONNECTED

74,854FansLike
5,486FollowersFollow
143,143SubscribersSubscribe

ताज़ा समाचार

सर्वाधिक लोकप्रिय