लखनऊ। उत्तर प्रदेश विधानसभा में उर्दू भाषा को लेकर विवाद छिड़ गया। समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ विधायक माता प्रसाद पाण्डेय ने सरकार से सवाल किया कि “उर्दू भाषा को सरकारी स्तर पर समुचित प्रोत्साहन क्यों नहीं दिया जा रहा?”
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माता प्रसाद पाण्डेय ने विधानसभा में आरोप लगाया कि वर्तमान सरकार उर्दू भाषा के साथ भेदभाव कर रही है। उन्होंने पूछा कि “राज्य में उर्दू शिक्षकों की भर्ती धीमी क्यों हो गई है और सरकारी कार्यालयों में उर्दू के इस्तेमाल को क्यों घटाया जा रहा है?”
सरकार की ओर से जवाब देते हुए संसदीय कार्य मंत्री ने कहा कि “उर्दू सहित सभी भारतीय भाषाओं को समान महत्व दिया जाता है, और सरकार किसी भी भाषा के साथ भेदभाव नहीं कर रही।” उन्होंने यह भी कहा कि “यूपी में उर्दू शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया जारी है, लेकिन जरूरत के अनुसार ही भर्तियां की जाएंगी।”
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समाजवादी पार्टी और अन्य विपक्षी दलों ने सरकार के जवाब को असंतोषजनक बताया और आरोप लगाया कि सरकार हिंदी को बढ़ावा देने के नाम पर उर्दू को दबा रही है।
उत्तर प्रदेश में उर्दू भाषा का मुद्दा अक्सर सियासी बहस का हिस्सा बनता रहा है। समाजवादी पार्टी traditionally उर्दू को समर्थन देती रही है, जबकि भाजपा पर इसे प्राथमिकता न देने के आरोप लगते रहे हैं।