Friday, February 21, 2025

मुज़फ्फरनगर में डीएम के आदेश से व्यापारियों में डर- व्यापारी नेता बोले, शुल्क जमा करो तो खोल सकोगे बंदी के दिन भी बाज़ार !

मुजफ्फरनगर। अखिल भारतीय उद्योग व्यापार मंडल के प्रांतीय उपाध्यक्ष संजय मित्तल ने बताया कि जिलाधिकारी द्वारा सख्ती से लागू साप्ताहिक बाज़ार से व्यापारियों में डर का माहौल है जबकि उत्तर प्रदेश दुकान एवं वाणिज्य अधिष्ठान अधिनियम 1962 में कुछ संशोधन किए गए हैं, जिसमें कुछ शर्तों के साथ अधिक शुल्क जमा करने पर साप्ताहिक बंदी में दुकान खोले जाने पर किसी भी प्रकार का जुर्माना आदि की कार्रवाई नहीं की जा सकती है।

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उन्होंने बताया कि  इसके लिए व्यापारियों को सरकार द्वारा बनाए गए कानून के अंतर्गत ही यह साप्ताहिक बंदी से छूट मिल सकेगी, इससे दुकानदारों को काफी राहत मिलेगी।दुकानदारों को निवेश मित्र पोर्टल पर अपने अधिष्ठान के स्थिति के हिसाब से ऑप्शन चयन कर पंजीयन करना होगा, पंजीयन के बाद निर्धारित धनराशि जमा करने के बाद उन्हें मिलने वाले प्रमाण पत्र के आधार पर साप्ताहिक बंदी के दिन अधिष्ठान खोले जा सकेंगे।

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नए नियमों के अनुसार दुकानदारों को एकमुश्त शुल्क जमा करना होगा। पंजीयन की बार-बार नवीनीकरण की आवश्यकता नहीं होगी, निर्धारित दुकानो व वाणिज्य अधिष्ठान की शुल्क दरें 1 से 5 कर्मचारी नियोजन 2250/- व 4500  रुपए, 6 से 10 कर्मचारी नियोजन 4500 /-व रु. 6000, 11 से 15 कर्मचारी नियोजन 7500 व रु. 15000, 25 कर्मचारियों से अधिक 15000 में रु.30000, व्यापार मंडल द्वारा लगातार सरकार से मांग की जा रही थी, इस पर सरकार ने संज्ञान लेते हुए सरकार ने यह निर्णय लागू किया है।

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अब निर्धारित शुल्क का 1.5 गुना शुल्क जमा कर साप्ताहिक बंदी से राहत मिलेगी  अगर वन टाइम फीस 2200  रुपए है, तो 3300 रुपए जमा करने होंगे, अब किसी भी व्यापारी को पंजीयन के लिए कार्यालय आने की आवश्यकता नहीं है, दुकानदार या वाणिज्य अधिष्ठान सीधे निवेश मित्र पोर्टल पर जाकर पंजीयन कर सकते हैं।

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इस संबंध में जिलाधिकारी से भी वार्ता की जाएगी, श्रम अधिकारी को भी जिलाधिकारी के संज्ञान में पूरे तथ्य लाने चाहिए थे, जिससे बाजारों में डर का माहौल उत्पन्न नहीं होता, अगर व्यापारियो को सरकार द्वारा साप्ताहिक बंदी में कानून के हिसाब से छूट दी हुई है, तो वह कानून सार्वजनिक होने चाहिए, श्रम विभाग की इतनी अच्छी-अच्छी योजनाएं हैं, जो बिना प्रचार के व्यापारियों को उनका लाभ नहीं मिल पाता है इस ओर भी ध्यान देने की आवश्यकता है।

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