नई दिल्ली। श्री लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय तथा राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में अभिनवभरत आचार्य पं. सीताराम चतुर्वेदी के व्यक्तित्व और कृतित्व पर द्विदिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का समापन हो गया।
मुजफ्फरनगर में शादी के दिन ही हार्टफेल होने से ब्यूटीपार्लर में दुल्हन की मौत, परिवार में मचा कोहराम
समापन समारोह की अध्यक्षता श्री लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. मुरलीमनोहर पाठक ने की। संपूर्ति सत्र के मुख्य अतिथि भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रेम शुक्ल रहे जबकि विशिष्ट अतिथि के रूप आचार्य पं. सीताराम चतुर्वेदी के पुत्र प्रियशील चतुर्वेदी उपस्थित रहे। सारस्वत अतिथि के रूप में दैनिक रॉयल बुलेटिन के संपादक अनिल रॉयल उपस्थित रहे।
ममता बनर्जी का ‘महाकुंभ’ पर विवादित बयान : साधु-संत बोले – ‘मुस्लिम वोटों के लिए कर रहीं तुष्टिकरण की राजनीति’
कार्यक्रम का शुभारम्भ वैदिक मंगलाचरण, दीप प्रज्ज्वलन एवं माता सरस्वती एवं आचार्य पं. सीताराम चतुर्वेदी की प्रतिमा पर पुष्पार्चन के साथ हुआ। कार्यक्रम के संयोजक प्रो. जवाहर लाल ने अतिथियों का स्वागत एवं धन्यवाद ज्ञापन आधुनिक विषय पीठ प्रमुख प्रो. मीनू कश्यप ने किया।
साथ ही एक चलचित्र के माध्यम से आचार्य सीताराम चतुर्वेदी के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डाला गया। डॉ आलोक कुमार के द्वारा संगोष्ठी का प्रतिवेदन प्रस्तुत किया गया। विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित प्रियशील चतुर्वेदी ने उनके जीवन पर प्रकाश डाला और कहा कि आचार्य जी की कृतियों के बारे में जान कर भारतीय ज्ञान परम्परा को समृद्ध किया जा सकता है।
मुख्य अतिथि प्रेम शुक्ल ने आचार्य जी के योगदान पर प्रकाश डालते हुए कहा कि भारतीय संस्कृति की समोन्नति तभी हो सकती है जब सभी संस्कृत भाषा को सीखें।
AAP नेता सत्येंद्र जैन पर चलेगा मनी लॉन्ड्रिंग केस, राष्ट्रपति ने दी अनुमति
सारस्वत अथिति के रूप में उपस्थित रॉयल बुलेटिन के सम्पादक अनिल रॉयल ने पण्डित जी के विचारों पर विस्तृत चर्चा करते हुए कहा कि वे बड़े मनीषी थे। ऐसे व्यक्तित्व पर संगोष्ठी करने से आने वाली पीढ़ी लाभान्वित होगी।
अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कुलपति मुरली मनोहर पाठक ने कहा कि जब आधुनिक एवं परंपरागत विषयों के विशेषज्ञ मिलकर एक मंच पर कार्य करेंगे तब निश्चित रूप से भारत विश्व गुरु बनेगा। समस्त संस्कृत और साहित्य जगत में छिपे ज्ञान को विश्व के समक्ष लाना होगा। इस क्रम में आचार्य जी की कृतियों से काफी लाभ मिलेगा। कुलपति डॉक्टर पाठक ने प्रेम शुक्ला ,अनिल रॉयल, प्रियशील चतुर्वेदी आदि अतिथियों को शॉल, श्री रामजी की प्रतिमा, नारियल आदि भेंटकर उनका अभिनन्दन किया।
मुजफ्फरनगर में सिद्धबली पेपर मिल पर जीएसटी का छापा, कई अन्य फैक्ट्री भी रडार पर
संगोष्ठी के दूसरे दिन संपूर्ति सत्र के पूर्व कुल 9 तकनीकी सत्र ऑन लाइन एवं ऑफ लाइन मोड में चलाये गए ,जिसमे 145 पत्रों का वचन किया गया। इन सत्रों में प्रो कृष्णकांत शर्मा, प्रो. दयाशंकर तिवारी, प्रो. कल्पलता पाण्डेय, प्रो.रजनीश मिश्र, प्रो.देवव्रत पंडा, प्रो. कमला भारद्वाज, प्रो. अमिता शर्मा एवं डॉ. मनीष कुमार दुबे मुख्य वक्ता के रूप उपस्थित रहे।
संगोष्ठी के संपूर्ति सत्र में प्रो. शिवशंकर मिश्र, प्रो. जगदेव शर्मा, प्रो. कल्पलता पाण्डेय, प्रो. देवेन्द्र मिश्र, डॉ प्रदीप जैन, डॉ. अभिषेक तिवारी, डॉ. सौरभ दुबे, आदित्य पंचोली, डॉ. विजय गुप्त, डॉ. प्रमोद चतुर्वेदी, डॉ. विकास चौधरी, डॉ. श्वेता, डॉ. हिमानी, डॉ. जीवन जोशी, डॉ. प्रियंका, डॉ नीरज भारद्वाज, डॉ. श्रद्धा मिश्रा एवं पीयूष शर्मा सहित अनेक शिक्षाविद्, शोधार्थी एवं विद्यार्थी उपस्थित रहे।