हाल ही फरवरी 2025 में परदेस अमरीका से अप्रवासी भारतीय बेदखल किए गए। पहली खेप में ५ फरवरी को 104 अप्रवासी भारतीयों की वापसी वहीं के सैनिक विमान से अपने देस अमृतसर के हवाई अड्डे पर हुई, जो जारी है। हाथों में हथकड़ी और पांवों में बेड़ी से जकड़े इन बिछुड़ो को देख इनके अपनों की आंखें तो रोई हीं, देसवासियों के व्यथित ह्रदय से भी यही सवाल आया…
क्यों जाना …देस बेगाना!
क्यों बने डंकी!
सवाल यह भी कि आखिर ये
‘क्यों बनो डंकी…? लाखों में रकम गंवाकर…घर, खेत खलिहान बेचकर…अपनी जान दांव पर लगा… खतरनाक-खौफनाक डंकी रूट से गुजरकर…और अन्ततः लुटे पिटे से अपमानित बेआबरू होकर अपनी सरजमीं पर लौटे!
आखिर क्यों…
विवेकहीनता की बड़ी मिसाल!
डंकी रूट से अमेरिका गए… गिरफ्तार हो जेल में ठूंसे गए, फिर बेड़ी और हथकड़ी में जकड़कर वहीं पटक दिए गए , जहां से रवाना हुए यानि अपने देस! खुद अपमानित हुए और देश को भी अपमान का दंश दे गए… दे रहे हैं! पर अब कान में ऐंठा देलें मेरे देश के नौनिहाल कि अपना वतन अपना है और पराया पराया।
सबक ट्रंप बनाम अमरीका का!
चूल्हे की आंच में सिकती रोटी के लिए एक कहावत है, जली सो जली…सिकी भी खूब! हमें सबक लेना चाहिए अमेरिका से कि वह अपने देशवासियों के लिए कितना समर्पित है। गौरतलब है कि 22 फरवरी 2024 को अमरीका के जार्जिया में जागिंग करती लैकिन रैक्ट नामक छात्रा की हत्या वेनेज़ुएला के एक अप्रवासी ने करदी थी। प्रतिक्रिया स्वरूप इसी छात्रा के नाम पर लैकिन रैक्ट एक्ट बना और अमरीका में अवैध तरीके से रह रहे तमाम अन्य देशों के वाशिन्दों को खदेड़ने का निर्णय लिया गया और ट्रंप ने इसे प्रमुखता से अपना चुनावी मुद्दा भी बनाया।
हमें भी यह सम्मान- समर्पण, रोजगार अपने देश के नौनिहालों, युवाओं के लिए रखना होगा। मादरे वतन से प्यार तभी गहराएगा!
बेरोजगारी के ये सामान…
अपनी धरती पर ही समाधान!
विषय पेचीदा है और व्यवस्था से उपजा है। बेशक पग पग बेरोजगारी को भुनाते, सपने दिखाते बहरूपियों-लुटेरों के जाल हैं। इश्तिहारों की बरगलाती दुनिया है। परदेस में लाइफ सेट कर देने के झांसे हैं और एक भेड़ चाल भी…जिसका शिकार मुख्यतः हमारा युवा है। जितना हौसला, जिजीविषा, मुगालता वे परदेस के लिए रखे हैं, इससे बहुत थोड़ा देस के लिए रखेंगे तो निश्चित ही सम्मान से लबालब रोटी, कपड़ा और मकान के हकदार होंगे! परदेस के डंकी बनने से बेहतर है अपने देश के होर्स पर सवारी की तमन्ना रखें!
-साधना सोलंकी