शामली। जिला कृषि अधिकारी, शामली प्रदीप कुमार यादव द्वारा समस्त कृषक भाईयो को सूचित किया जाता है कि जिलाधिकारी शामली के निर्देश के क्रम में जनपद शामली में मार्च, अप्रैल एवं मई माह में लगायी जाने वाली धान की प्रजाति पी०बी०1509 तथा पी०बी० 1692 जिसको स्थानीय भाषा में साठा कहा जाता है को कृपया न लगाये। जैसा कि आप जानते है कि वाटर रिर्सोस ऑफ इण्डिया 2023 के ऑकडो के अनुसार जनपद के पाँचो विकास खण्ड में तीन विकास खण्ड शामली, और ऊन अति दोहित स्तर पर काँधला एवं कैराना क्रिटिकल स्तर पर और थानाभवन सेमी क्रिटिकल स्तर पर है।
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जैसा कि अनुसन्धान के आकडो से ज्ञात होता है कि 1 किलो चावल के उत्पादन करने में लगभग 2500 लीटर पानी का प्रयोग होता है। किसान भाईयो जनपद के सभी ब्लॉको में भूमिगत जल की गम्भीर समस्या उत्पन्न हो रही है और धान की दोबार फसल लगाने से भूमिगत जल का अतिदोहन हो रहा है और इससे भविष्य में जल की गम्भीर समस्या के साथ-साथ सिंचाई के पानी की भी गम्भीर समस्या उत्पन्न हो जायेगी। पंजाब, हरियाणा की सरकार ने इस प्रकार की खेती पर समय पूर्व धान की फसल की रोपाई करने पर प्रतिबन्ध लगाया गया है साथ ही दण्ड का भी प्राविधान है।
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पश्चिमी उत्तर प्रदेश तथा एन०सी०आर० के डार्क जोन के जिलो में भी इस प्रकार के खेती को रोकने के लिए जागरूकता अभियान तथा आवश्यक कार्यवाही हेतु दिशा निर्देश प्राप्त हो रहे है। धान की बार-बार फसल लगाने से जल के अति दोहन के साथ-साथ बीमारी तथा कीट का प्रकोप भी अधिक हो जाता है। अतः किसान भाई मार्च, अप्रैल/ मई माह में उर्द, मूग, ढैचा तथा सनई की बुआई करके हरी खाद के रूप में अपने खेत की उर्वरा शक्ति को बढा सकते है तथा धान के बीज की सीधी बुआई करके पानी की बचत कर सकते है तथा पडलिंग में लगने वाले खर्च को बचा सकते है। सीधी बुआई में फसल लागत कम होती है तथा उत्पादन अधिक प्राप्त होता है।