प्रयागराज/ गाज़ियाबाद- इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक आदेश में कहा है कि किसी वेश्या का ग्राहक होना या वेश्या के साथ अनैतिक कार्य करते पकड़े जाने से मानव तस्करी का अपराध साबित नहीं होता। इसी के साथ कोर्ट ने मानव तस्करी और अनैतिक देह व्यापार प्रतिषेध अधिनियम के तहत चल रहे मुकदमे की कार्यवाही रद्द कर दी है।
यह आदेश न्यायमूर्ति विनोद दिवाकर ने गाजियाबाद के विपुल कोहली की याचिका पर दिया है। याचिका में कहा गया था कि पुलिस ने याची को 20 मई 2024 को गाजियाबाद स्थित एलोरा थाई स्पा सेंटर में छापा मारकर एक महिला के साथ आपत्तिजनक स्थिति में पकड़ा था। उसके खिलाफ आईपीसी की धारा 370 एवं अनैतिक देह व्यापार प्रतिषेध अधिनियम की धारा 3, 4, 5, 6 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया। पुलिस ने इस मामले में आरोप पत्र दाखिल कर दिया। जिस पर एसीजेएम अदालत ने संज्ञान लेकर याची को सम्मन जारी किया है।
सम्मन आदेश और मुकदमे की कार्यवाही को याचिका में चुनौती दी गई। कहा गया कि याची पर जो धाराएं लगाई गई हैं, उनसे उसका अपराध साबित नहीं होता। वह न तो स्पा सेंटर का मालिक है और न ही महिलाओं से अनुचित देह व्यापार कराने के अपराध में शामिल है। याची ग्राहक है, जिसने स्पा सेंटर को सेवा के बदले पैसे दिए थे। वह स्पा सेंटर की एक महिला के साथ आपत्तिजनक स्थिति में पकड़ा गया। इससे उस पर अवैध देह व्यापार और मानव तस्करी का आरोप साबित नहीं होता है।
“पीड़िता के कपड़े फाड़ना, निजी अंगों को छूना रेप या रेप की कोशिश नहीं”- इलाहाबाद हाईकोर्ट
कोर्ट ने सुनवाई के बाद कहा कि याची पर लगाए गए आरोप साबित नहीं होते। क्योंकि वह न तो स्पा सेंटर का मालिक है और न ही महिलाओं को अनुचित देह व्यापार में झोंकने का आरोप उस पर साबित हो रहा है। इसी के साथ कोर्ट ने सम्मन आदेश और मुकदमे की पूरी कार्यवाही रद्द कर दी।