सोनीपत- ऑपरेशन सिंदूर के दौरान सोशल मीडिया पर विवादित टिप्पणी कर चर्चा में आए अशोका यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर अली खान को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को उनकी जमानत मंजूर की, जिसके बाद गुरुवार को उन्हें सोनीपत जेल से रिहा कर दिया गया। जेल से बाहर निकलते वक्त प्रोफेसर खान ने मीडिया से कोई बातचीत नहीं की और बिना रुके वहां से रवाना हो गए।
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गुरुवार की शाम अचानक सोनीपत जेल के बाहर हलचल तेज़ हो गई। प्रो. अली के वकील जमानत के आदेश के दस्तावेज लेकर जेल पहुंचे और 56 मिनट की प्रक्रिया के बाद प्रोफेसर खान जेल से बाहर आए। उन्हें एक यूपी नंबर की ब्रेजा कार में बैठाकर रवाना किया गया।
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जेल से बाहर निकलते ही हुआ हादसा
जेल से निकलने के कुछ ही पलों बाद उनकी तेज़ रफ्तार कार एक स्कूटी से टकरा गई, जिस पर एक महिला सवार थी। गनीमत रही कि महिला को कोई गंभीर चोट नहीं आई और वह संभल गईं। हादसे के बाद भी कार नहीं रुकी और तुरंत आगे निकल गई।
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क्या था मामला?
प्रोफेसर अली खान ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के संदर्भ में सेना और सैन्य अधिकारियों की भूमिका को लेकर सोशल मीडिया पर एक टिप्पणी की थी, जिसे राष्ट्रविरोधी और अशांति फैलाने वाला बताया गया। इस पोस्ट के खिलाफ दो अलग-अलग केस दर्ज किए गए थे। स्थानीय अदालत ने उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया था, और तभी से वह सोनीपत जेल में बंद थे।
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सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी
प्रोफेसर के वकील ने कोर्ट में दलील दी कि यह बयान अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के तहत आता है। उन्होंने कहा कि प्रो. अली का उद्देश्य सेना का अपमान नहीं, बल्कि लोकतांत्रिक बहस को प्रोत्साहित करना था। कई मानवाधिकार संगठनों और शिक्षाविदों ने भी उनके समर्थन में आवाज़ उठाई। सुप्रीम कोर्ट ने गिरफ्तारी को अनुचित ठहराया और सशर्त जमानत दे दी।