इलाहाबाद/ग्रेटर नोएडा। तुस्याना गांव में हुए सैकड़ों करोड़ रुपये के भूमि घोटाले के मामले में प्रमुख आरोपी कैलाश भाटी की जमानत इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रद्द कर दी है। बता दें कि कैलाश भाटी भाजपा के एमएलसी नरेंद्र भाटी का छोटा भाई है।
जानकारी के मुताबिक ग्रेटर नोएडा के तुस्याना गांव की सैकड़ों करोड़ रुपये की जमीन को भू माफियाओं ने कब्जा लिया था। माफियाओं ने सरकार से इस जमीन का मुआवजा हड़पने के साथ ही साथ अधिग्रहीत जमीन के बदले मिलने वाली 6 प्रतिशत जमीन में भी बड़ा ”खेला” किया था। सच सेवा समिति नामक सामाजिक संगठन की शिकायत पर इस प्रकरण की जांच एसआईटी SIT द्वारा की जा रही है।
जांच के दौरान ही विगत 16 नवंबर 2022 को ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में तैनात रहे वरिष्ठ प्रबंधक कैलाश भाटी, राजेंद्र प्रधान मकोड़ा के बेटे दीपक भाटी व उसके साथी कमल को पुलिस ने गिरफ्तार करके जेल भेज दिया था। कैलाश भाटी भाजपा के एमएलसी नरेंद्र भाटी का छोटा भाई है। गिरफ्तारी के बाद कैलाश भाटी ने गौतमबुद्ध नगर जिला न्यायालय में जमानत अर्जी लगाई थी। दो— तीन सुनवाई के बाद वह अर्जी (रिजेक्ट) कर दी गई थी।
जिला अदालत से बेल की अर्जी रद्द होने के बाद कैलाश भाटी के वकीलो ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में जमानत की अपील की थी। जमानत की अर्जी पर लगभग आधा दर्जन तारीखों पर सुनवाई हुई। इसी 24 जनवरी 2023 को इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायाधीश दीपक वर्मा ने जमानत की अर्जी पर आखरी सुनवाई करते हुए फैसला रिर्जव रख लिया था। आज यानि 6 फरवरी 2023 को जस्टिस दीपक वर्मा का फैसला हाईकोर्ट की वेबसाइट पर अपलोड हुआ है। इस फैसले में कैलाश भाटी की जमानत अर्जी को रद्द (रिजेक्ट) कर दिया गया है। इस फैसले के आने के बाद यह स्पष्ट हो गया है कि कैलाश भाटी को अभी लंबे अर्से तक जेल में ही रहना पड़ेगा। अब उसके पास सुप्रीम कोर्ट में जमानत अर्जी देने का विकल्प बचा है। इस मामले में कैलाश भाटी के विरुद्ध SIT ने पुख्ता सबूत जुटा रखे हैं। इस कारण उसका जमानत पर रिहा होना बेहद मुश्किल है।
क्या है तुस्याना भूमि घोटाला, विस्तार से जानिए
उत्तर प्रदेश के ग्रेटर नोएडा क्षेत्र में स्थित तुस्याना गांव में फर्जी तरीके से भूमि के पट्टे आवंटित किए गए थे। जब भूमि घोटाला हुआ था तो कैलाश भाटी ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में बतौर वरिष्ठ प्रबंधक के पद पर तैनात था। जांच के दौरान भूमि घोटाले में उसकी अहम भूमिका का खुलासा हुआ था। इसमें पाया गया था कि जिन्हें लाभ मिलना था, वे तो वंचित रह गए, लेकिन संपन्न लोगों ने गड़बड़ी कर पट्टा हासिल कर लिया। जांच में यह भी सामने आया था कि पट्टा आवंटन में पात्रता के सभी नियम तार-तार हो गए थे। कुल मिलाकर पात्र लोगों को कुछ नहीं मिला और गलत तरीके से लोगों को पट्टे का आवंटन कर दिया गया। इतना ही नहीं, ग्रामीणों के साथ बाहर के लोगों ने मिलीभगत कर पट्टा ले लिया। इसमें ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के अधिकारियों की भी भूमिका थी, क्योंकि बड़ी मिलीभगत के बगैर इतना बड़ा घोटाला संभव ही नहीं था।