सहारनपुर। सहारनपुर मंडल में अभी भी 14 साल तक के बच्चों से गैर कानूनी ढंग से काम कराया जा रहा है। श्रम विभाग के साथ-साथ इन बच्चों से गैर कानूनी और जबरन काम लेने से बचाव को कई सामाजिक संगठन कार्यरत हैं। लेकिन फिर भी बड़ी संख्या में छोटे-छोटे बच्चें स्कूल जाने के बजाए ईंट-भट्टों, होटलों और फैक्टरियों में मजदूरी करने को विवश हैं। श्रम विभाग सहारनपुर द्वारा वर्ष 2022-23 में 410 बच्चों को बालश्रम से मुक्ति दिलाने का काम किया गया है। श्रम विभाग के एक अधिकारी के मुताबिक मुक्त कराए बच्चों में 195 सहारनपुर के, 180 मुजफ्फरनगर के 41 शामली जिले के हैं। इन 410 बच्चों में 38 बच्चे ऐसे शामिल हैं जो जोखिम भरे कामों में लगे हुए थे। 379 बच्चे गैर जोखिम कार्यों में लगे थे।
श्रम विभाग द्वारा इन बच्चों से जबरन काम लेने के मामले में 160 लोगों के खिलाफ मुकदमें दर्ज किए गए और 40 हजार अर्थदंड के रूप में वसूले गए। श्रम विभाग की ओर से मुक्त कराए गए बच्चों में से 327 बच्चों को शैक्षणिक, पुनर्वास और कौशल विकास कार्यक्रमों में शामिल किया गया है। गरीब वर्गों के छोटे बच्चे जिन्हें निःशुल्क शिक्षा का और गरिमापूर्ण जीने का अधिकार प्राप्त है। लेकिन वे परिवार की माली हालत होने के कारण जोखिम भरे और गैर जोखिम वाले कामों में बड़ी संख्या में लगे हुए हैं। उन बच्चों का बचपन शिक्षा और गरिमापूर्ण रहन-सहन से वंचित हो रहा है। जिससे उनका शारीरिक और मानसिक विकास नहीं हो रहा है। कानून के मुताबिक 14 साल से कम का कोई बच्चा किसी फैक्टरी या खदान में काम नहीं सकता। बच्चे केवल स्कूल से आने के बाद या स्कूल की छुट्टियों के दौरान अपने परिवार के स्वामित्व एवं अन्य सुरक्षित क्षेत्रों में तो काम कर सकते हैं। इसके अलावा यदि वे किसी के यहां घरों, दुकानों या कलकारखानों में काम करते हैं तो यह पूरी तरह से गैर कानूनी है।