नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को 2021 के बलात्कार मामले में लोक इंसाफ पार्टी (एलआईपी) नेता और पंजाब के पूर्व विधायक सिमरजीत सिंह बैंस को पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट द्वारा दी गई जमानत में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया।
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एएस बोपन्ना और एमएम सुंदरेश की पीठ ने कहा कि हाईकोर्ट ने अपने विवेक का प्रयोग किया है। क्षमा करें, हम हाईकोर्ट के फैसले में हस्तक्षेप नहीं करेंगे।
अपील का निपटारा करते हुए अदालत ने कहा कि यदि राजनेता द्वारा जमानत की किसी भी शर्त का पालन नहीं किया जाता है तब पीड़ित उसे दी गई जमानत को रद्द करने के लिए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटा सकता है।
शिकायतकर्ता ने इस साल जनवरी में पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट द्वारा पूर्व विधायक को दी गई जमानत को रद्द करने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। 25 जनवरी को हाईकोर्ट ने एलआईपी नेता को विभिन्न शर्तों के साथ जमानत दे दी थी।
हाईकोर्ट के समक्ष बैंस ने दलील दी थी कि उनके राजनीतिक विरोधियों के कहने पर उनका करियर बर्बाद करने के लिए एफआईआर दर्ज की गई थी। शिकायतकर्ता विरोधियों के हाथों की कठपुतली है।
जुलाई 2021 में, बैंस और उनके भाइयों करमजीत सिंह और परमजीत सिंह पम्मा और अन्य के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 376, 354, 354-ए, 506 और 120-बी के तहत लुधियाना में प्राथमिकी दर्ज की गई थी।
अपनी शिकायत में, पीड़िता ने आरोप लगाया था कि बैंस ने कई बार बलात्कार करने के लिए उसकी खराब आर्थिक हालत का फायदा उठाया था।