सहारनपुर। आजादी के अमृत महोत्सव कार्यक्रम के अंतर्गत आज विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस के रूप में मनाया गया। जनपद में आज एक मौन जुलूस का आयोजन हाथी गेट से प्रारंभ होकर कोर्ट रोड होते हुए आईएमए भवन पर समाप्त हुआ। आईएमए भवन में विभाजन विभीषिका से संबंधित अभिलेख प्रदर्शनी का भी आयोजन किया गया।
देश का विभाजन किसी विभीषिका से कम नहीं था। भारत के लाखों लोगों ने बलिदान देकर आजादी प्राप्त की थी, ऐसे समय पर देश का दो टुकडों में बंट जाने का दर्द आज भी लाखों परिवारों में एक गहरे जख्म की तरह घर कर गया है। इसी समय बंगाल का भी विभाजन हुआ जिसमें बंगाल के पूर्वी हिस्से को भारत से अलग का पूर्वी पाकिस्तान बना दिया गया था जो कि सन् 1971 में बांग्लादेश के रूप में एक स्वतंत्र राष्ट्र बना।
भारत के इस भौगोलिक बंटवारे ने देश के लोगों को सामाजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक तथा मानसिक रूप से झकझोर दिया था। विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस हमें न सिर्फ भेद-भाव, वैमनस्य एवं दुर्भावना को खत्म करने की याद दिलाता है बल्कि इससे एकता, सामाजिक सद्भाव और मानव सशक्तिकरण की प्रेरणा मिलती है। इस अवसर पर विभाजन विभीषिका से संबंधित गोष्ठी का आयोजन किया गया। इसके अन्तर्गत भारत के सामाजिक सांस्कृतिक एवं आर्थिक विकास में विस्थापितों का योगदान एवं देश की एकता एवं अखण्डता पर शरणार्थी व्यक्तियों के योगदान पर चर्चा की गयी। इसके साथ ही भारत पाकिस्तान विभीषिका से जुडी हुयी पुस्तकों को भी प्रदर्शनी में प्रदर्शित किया गया।
आईएमए भवन में जिलाधिकारी डा.दिनेश चन्द्र द्वारा त्रासदी से संबंधित एवं अन्य वरिष्ठ नागरिकों को अंगवस्त्र भेंटकर सम्मानित किया गया। विभाजन की विभीषिका को दर्शाने वाली प्रदर्शनी का उपस्थित सभी ने अवलोकन किया। मौन जुलूस में कैप्टन अी0एस0चन्नी, प्रेम नाथ छोकरा, के0एल0अरोडा, वाई0के0गुप्ता एवं विभीषिका से प्रभावित प्रथम पीढी के सम्मानित लोग, जिलाधिकारी डा0 दिनेश चन्द्र, अपर जिलाधिकारी प्रशासन डॉ0 अर्चना द्विवेदी, अपर जिलाधिकारी वित्त एवं राजस्व रजनीश कुमार मिश्र, जिला सूचना अधिकारी दिलीप कुमार गुप्ता आदि उपस्थित रहे।