मुज़फ्फरनगर। दहेज हत्या जैसे जघन्य अपराध में न्याय की विजय हुई है। मुज़फ्फरनगर की एक विशेष अदालत (एफटीसी-02) ने अभियुक्त को उसकी पत्नी सारिका की दहेज के लिए हत्या करने के मामले में 10 वर्ष के कठोर कारावास और 35 हजार रुपये के जुर्माने की सज़ा सुनाई है। यह फैसला पुलिस की मजबूत विवेचना और अभियोजन की प्रभावी पैरवी का प्रतिफल है, जिसने न्याय के पक्ष में निर्णायक भूमिका निभाई।
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यह मामला 14 फरवरी 2018 का है, जब वादी इंदर रस्तोगी ने थाना कोतवाली नगर में अपनी बहन सारिका की हत्या की तहरीर दर्ज कराई थी । उन्होंने आरोप लगाया कि अभियुक्त अंकुर जैन, जो कि मुज़फ्फरनगर के छिम्पीवाड़ा, मोतीमहल का निवासी है, ने अतिरिक्त दहेज की मांग पूरी न होने पर उनकी बहन की हत्या कर दी।
इस आधार पर थाना कोतवाली नगर में अंकुर जैन के खिलाफ IPC की धारा 498ए, 304बी व ¾ दहेज प्रतिषेध अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज किया गया।
मुज़फ्फरनगर पुलिस ने तत्परता दिखाते हुए महज एक दिन के भीतर, यानी 15 फरवरी 2018 को आरोपी को गिरफ्तार कर लिया था और गहन साक्ष्य संकलन करते हुए 11 मार्च 2018 को अदालत में आरोप पत्र दाखिल कर दिया।
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पूरे मामले में वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक संजय कुमार, क्षेत्राधिकारी नगर राजू कुमार साव और प्रभारी निरीक्षक उमेश रोरिया के नेतृत्व में पुलिस ने कोई कसर नहीं छोड़ी। सहायक शासकीय अधिवक्ता अरुण जावला, कोर्ट पेरोकार कांस्टेबल मुकेश कुमार और निजारुलहक ने सशक्त पैरवी की, जिससे अभियोजन की स्थिति मज़बूत बनी रही।
आज 15 मई 2025 को विशेष न्यायालय एफटीसी-02 द्वारा आरोपी अंकुर जैन को दोषी करार देते हुए 10 वर्ष के कठोर कारावास की सज़ा सुनाई गई और 35 हजार रुपये का आर्थिक दण्ड भी लगाया गया।