कम लागत में ज्यादा मुनाफा देने वाली औषधीय खेती किसानों के लिए बन सकती है सोने की खान जानें पूरी जानकारी

आज हम आपको एक ऐसी औषधीय फसल के बारे में बताने जा रहे हैं जो किसानों के लिए सोने की खान साबित हो सकती है। अक्सर किसान गेहूं और सरसों जैसी पारंपरिक फसलों पर ही ध्यान देते हैं लेकिन बदलते समय में अब ऐसी फसलों की खेती करना जरूरी हो गया है जिनकी बाजार में डिमांड भी ज्यादा हो और मुनाफा भी दोगुना मिले। ऐसी ही एक खास फसल है ईसबगोल। यह फसल आयुर्वेदिक दवाओं से लेकर वजन घटाने और पेट से जुड़ी समस्याओं के इलाज तक में इस्तेमाल की जाती है। यही कारण है कि देश और विदेश दोनों जगह इसकी मांग हमेशा बनी रहती है।
ईसबगोल की खेती कब और कैसे करें
इस फसल को बहुत अधिक पानी की जरूरत नहीं होती है और 3 से 4 सिंचाई ही पर्याप्त होती हैं। बेहतर पैदावार के लिए नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटेशियम की संतुलित मात्रा का उपयोग करना जरूरी है। अगर सही देखभाल की जाए तो ईसबगोल की फसल लगभग 100 से 120 दिनों में पूरी तरह तैयार हो जाती है।
पैदावार और मुनाफा
ईसबगोल की सबसे बड़ी खूबी यही है कि यह कम लागत में किसानों को शानदार कमाई कराती है। एक हेक्टेयर खेत में इसकी पैदावार लगभग 10 से 15 क्विंटल तक होती है। वर्तमान समय में ईसबगोल की कीमत बाजार में 12 से 18 हजार रुपये प्रति क्विंटल तक मिलती है। यानी अगर आप एक हेक्टेयर में खेती करते हैं तो लगभग 2 से 2.5 लाख रुपये तक की आय आसानी से हो सकती है।
लागत की बात करें तो एक हेक्टेयर में ईसबगोल की खेती पर करीब 35 से 40 हजार रुपये का खर्च आता है। इसमें जुताई, बीज, मजदूरी, उर्वरक, सिंचाई, निराई-गुड़ाई और कटाई जैसी सभी लागत शामिल होती है। सभी खर्च निकालने के बाद किसान को लगभग 1.5 से 2 लाख रुपये का शुद्ध मुनाफा मिल सकता है। यही कारण है कि ईसबगोल की खेती को आज सबसे लाभकारी औषधीय खेती माना जाता है।
ईसबगोल क्यों है खास
आजकल लोग सेहत को लेकर पहले से ज्यादा जागरूक हो गए हैं और प्राकृतिक दवाओं को प्राथमिकता देने लगे हैं। ईसबगोल का उपयोग पेट से जुड़ी समस्याओं, वजन नियंत्रित करने, आंतों की सफाई और पाचन शक्ति को बेहतर करने में किया जाता है। यही कारण है कि आयुर्वेदिक दवा उद्योग और घरेलू उपयोग दोनों में इसकी मांग लगातार बढ़ रही है।
Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारी कृषि विशेषज्ञों और उपलब्ध आंकड़ों पर आधारित है। फसल की पैदावार और मुनाफा स्थान, मिट्टी की गुणवत्ता, मौसम और बाजार की स्थिति के अनुसार बदल सकता है। किसी भी बड़े निवेश या खेती की शुरुआत करने से पहले स्थानीय कृषि विशेषज्ञ से सलाह अवश्य लें।