सितंबर में पत्ता गोभी की खेती से किसानों को मिलेगा बंपर मुनाफा – जानें टॉप 5 हाइब्रिड किस्में

अगर आप खेती से जल्दी मुनाफा कमाना चाहते हैं तो पत्ता गोभी की खेती आपके लिए सबसे सही विकल्प हो सकती है। पत्ता गोभी ऐसी सब्जी है जिसकी डिमांड पूरे साल बनी रहती है। इसे घरों में सब्जी के रूप में इस्तेमाल किया जाता है सलाद में खाया जाता है और फास्ट फूड से लेकर होटल रेस्टोरेंट तक इसकी खपत बहुत ज्यादा होती है। यही वजह है कि सर्दियों में पत्ता गोभी की कीमत और भी बढ़ जाती है और किसानों को अच्छा भाव मिलता है। अगर आप इस सितंबर महीने में पत्ता गोभी की खेती शुरू करते हैं तो केवल 60 दिनों में खेत से भरपूर उपज निकालकर अच्छा खासा मुनाफा कमा सकते हैं।
अब बात करते हैं पत्ता गोभी की उन टॉप किस्मों की जिनकी मांग बाजार में सबसे ज्यादा रहती है। इनमें गोल्डन एकर प्रमुख है जो 55 से 60 दिनों में तैयार हो जाती है। पूसा अगेती और पूसा ड्रम हेड भी शानदार उत्पादन देती हैं और एक हेक्टेयर में 350 से 380 क्विंटल तक उपज मिल सकती है। इसके अलावा पूसा मुक्ता और प्राइड ऑफ इंडिया भी किसानों को अच्छी पैदावार देती हैं। वहीं पत्ता गोभी की क्रांति किस्म केवल 60 दिनों में तैयार हो जाती है और प्रति हेक्टेयर लगभग 250 क्विंटल उत्पादन देती है। इन किस्मों की खासियत यह है कि ये रोग प्रतिरोधी होती हैं और बाजार में आसानी से बिक जाती हैं।
पत्ता गोभी की खेती के लिए खेत की तैयारी बहुत जरूरी है। सबसे पहले ऐसे खेत का चुनाव करें जहां पानी जमा न हो क्योंकि इस फसल को जल निकासी वाली भूमि ज्यादा पसंद होती है। खेत की गहरी जुताई करें और मिट्टी को भुरभुरी बनाने के लिए पाटा चला दें। खेत की अंतिम जुताई करते समय गोबर की सड़ी खाद या वर्मी कंपोस्ट जरूर मिलाएं जिससे मिट्टी उपजाऊ बने और फसल स्वस्थ रहे।
जब खेत तैयार हो जाए तो पत्ता गोभी की पौध की रोपाई करें। पौधे को कूड बनाकर या बेड पर लगाया जा सकता है। अगर आप समतल सतह पर रोपाई कर रहे हैं तो ध्यान रखें कि पौधे से पौधे की दूरी 45 सेंटीमीटर और लाइन से लाइन की दूरी 60 सेंटीमीटर होनी चाहिए। इससे पौधे को बढ़ने और फैलने के लिए पर्याप्त जगह मिलती है और फसल का विकास अच्छा होता है।
अगर आप मेहनत और थोड़ी समझदारी से सितंबर में पत्ता गोभी की खेती करते हैं तो यह निश्चित है कि 60 दिनों के भीतर ही खेत से शानदार उपज लेकर अच्छी कमाई कर सकते हैं। इस फसल की मार्केट डिमांड सालभर बनी रहती है और त्योहार तथा सर्दियों के सीजन में तो यह किसानों को सोने पर सुहागा का फायदा देती है।
डिस्क्लेमर: इस लेख में दी गई जानकारी केवल जागरूकता और शैक्षिक उद्देश्य से है। खेती शुरू करने से पहले स्थानीय कृषि वैज्ञानिक या कृषि विभाग से सलाह अवश्य लें।