किसान भाई इस ठंड जरूर करें इस खास किस्म की खेती बाजार में शुरुआत में मिलेगी दोगुनी कीमत और मुनाफा होगा लाखों का

आज हम आपके लिए एक बेहद काम की जानकारी लेकर आए हैं। अगर आप खेती से जल्दी और ज्यादा मुनाफा कमाना चाहते हैं तो यह खबर आपके लिए है। रबी सीजन में हरी पत्तेदार सब्जियों की मांग जबरदस्त बढ़ जाती है और ऐसे समय में अगर आपकी फसल बाजार में सबसे पहले पहुंच जाए तो दाम भी दोगुना मिलते हैं। इन्हीं सब्जियों में पालक की मांग सबसे ज्यादा रहती है और खासकर ठंड के दिनों में लोग इसे बहुत पसंद करते हैं।
रेजिमेंट किस्म क्यों है खास
पालक की कई किस्में आती हैं लेकिन रेजिमेंट किस्म किसानों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है। यह एक F1 हाइब्रिड संकर किस्म है जो अपने गहरे हरे चौड़े और गोल पत्तों के लिए मशहूर है। इसकी बढ़वार सीधी होती है और सबसे बड़ी बात यह है कि इसमें फफूंदी जैसे रोगों से बचाव की क्षमता ज्यादा होती है। यही वजह है कि किसान इसे बड़े स्तर पर अपनाने लगे हैं।
खेती के लिए जरूरी बातें
रेजिमेंट किस्म की खेती के लिए बलुई दोमट या जलोढ़ मिट्टी सबसे उपयुक्त मानी जाती है। बुआई से पहले खेत की अच्छी तरह जुताई करनी चाहिए और उसमें गोबर की खाद और नीम की खली डालना बेहद जरूरी है। बीज को बोने से पहले पानी में भिगोने से अंकुरण बेहतर होता है। फसल लगभग 35 से 40 दिनों में कटाई के लिए तैयार हो जाती है। कटाई करते समय ध्यान रखना चाहिए कि पौधों की जड़ों से लगभग 5 से 6 सेंटीमीटर ऊपर से पत्तियाँ काटी जाएं ताकि नई पत्तियाँ फिर से उग सकें और लगातार उत्पादन होता रहे।
बंपर उत्पादन और कमाई
पालक की रेजिमेंट किस्म की सबसे बड़ी ताकत इसकी उत्पादन क्षमता है। एक एकड़ में 80 से 120 क्विंटल तक हरी पालक पैदा हो सकती है। मौजूदा बाजार भाव के हिसाब से किसान एक एकड़ से 1.5 से 2 लाख रुपये तक की कमाई आराम से कर सकते हैं। चूंकि ठंड के दिनों में पालक की मांग बहुत अधिक रहती है इसलिए बिक्री की कोई दिक्कत नहीं होती। खर्चा भी कम आता है और मुनाफा कई गुना ज्यादा होता है।
दोस्तों अगर आप भी खेती में ज्यादा मेहनत और खर्च किए बिना अच्छा मुनाफा कमाना चाहते हैं तो इस रबी सीजन में पालक की रेजिमेंट किस्म जरूर अपनाएं। जल्दी बढ़ने वाली यह किस्म आपको बाजार में बढ़त दिलाएगी और आपकी आमदनी दोगुनी कर सकती है।
डिस्क्लेमर – इस लेख में दी गई जानकारी कृषि विशेषज्ञों और उपलब्ध स्रोतों पर आधारित है। खेती करने से पहले अपने क्षेत्र के कृषि वैज्ञानिकों या विशेषज्ञों की सलाह अवश्य लें।