हकीम लुकमान ने मरते समय अपने शिष्यों को अपने जीवन भर के अनुभवों की कुछ विशेष बातें बताई। उन्होंने दो बातें हमेशा याद रखने और दो बातों को भूल जाने की शिक्षा दी।
उन्होंने कहा कि भगवान का सच्चा भक्त भगवान को सदा याद रखता है। वह यह भी जानता है कि जन्म हुआ है तो मृत्यु भी अवश्य होगी अर्थात अपनी मृत्यु को भी याद रखना है। मृत्यु का कोई भरोसा नहीं, कब आ जाये। ये दोनों याद रहेंगे तो पाप से बचे रहोगे।
दो बातें जो भुला देने की हैं वे यह कि कोई तुम्हारा बुरा करा जाये तो तुम उसे भुला देना, कभी याद मत करना, साथ ही किसी की भलाई तुम करो तो उसे भी याद मत रखना, भूल जाना। याद रखने से उस भलाई के कार्य का जो पुण्य प्राप्त हुआ है, वह कम हो जायेगा।
लुकमान के शिष्यों ने कहा कि यह तो बड़ा कठिन है, क्योंकि कोई भलाई के कार्य के साथ बाद में थप्पड़ मार दे या कटु वचन कह दे तो वह जरूर याद रहेगा।
आदमी की दुर्बलता यही है कि किसी के ऊपर किया गया उपकार का कार्य तो हमेशा याद रखेगा कि फलां के लिए यह किया, वह किया, परन्तु किसी ने उसके ऊपर कोई उपकार किया है तो उसे भूल जायेगा। यही तो कृतघ्नता है और कृतघ्नता बहुत बड़ा पाप है।