मेरठ। अन्नू रानी को अर्जुन अवार्ड के लिए चुना गया है। अन्नू रानी भाला फेंक में भारत की टॉप एथलीट हैं। युवा मामले और खेल मंत्रालय ने गुरुवार को राष्ट्रीय खेल पुरस्कार 2024 की घोषणा कर दी है। लिस्ट के अनुसार, 34 खिलाड़ियों को अर्जुन अवॉर्ड मिला, जिसमें दो लाइफ टाइम कैटिगरी में शामिल हैं। अन्नू रानी ने पेरिस ओलंपिक में महिला जैवलिन थ्रो के मुकाबले में भाग लिया था। यह पुरस्कार उन खिलाड़ियों को दिया जाएगा। जिन्होंने खेल में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। पुरस्कारों की इस शानदार सेरेमनी का आयोजन 17 जनवरी को राष्ट्रपति भवन में किया जाएगा।
गन्ने को भाला बना करती थीं प्रैक्टिस
सरधना के बहादरपुर गांव की रहने वाली अन्नू के पास भाला खरीदने के पैसे नहीं थे, इसलिए उन्होंने गन्ने को ही भाला बनाकर प्रैक्टिस शुरू की। जूते खरीदने के लिए भी उन्हें चंदा इकट्ठा करना पड़ा। कोच की कमी में उनके भाई उपेंद्र ने ही उन्हें प्रशिक्षण दिया। गांव के स्कूल में ही सुबह-शाम अभ्यास करते हुए अन्नू ने अपने सपनों को उड़ान दी।
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अन्नू के जीवन में उनके भाई का बड़ा योगदान
अन्नू रानी के जीवन में उनके भाई उपेंद्र का काफी योगदान है। जब अन्नू ने जैवलिन थ्रो में रुचि दिखाई, तो उपेंद्र ने उन्हें गुरुकुल प्रभात आश्रम जाने का सुझाव दिया। घर से 20 किमी दूर होने के बावजूद, अन्नू सप्ताह में तीन दिन वहां प्रैक्टिस करने जाती थीं। परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर थी और दो खिलाड़ियों का खर्च उठाना मुश्किल था। इस स्थिति को देखते हुए, उपेंद्र ने अपने खेल के सपने को त्याग दिया ताकि अन्नू आगे बढ़ सकें।
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पिता से छुपकर करती थी प्रैक्टिस
अन्नू रानी, पांच भाई-बहनों में सबसे छोटी है। उनके सबसे बड़े भाई उपेंद्र कुमार भी 5,000 मीटर के धावक रहे थे। अन्नू अपने बड़े भाई उपेंद्र कुमार को देखकर खेल की दुनिया में आई। उपेंद्र ने अन्नू में खेल के प्रति जुनून जगाया। अन्नू सुबह चार बजे उठकर गांव की सड़कों पर दौड़ने लगीं। हालांकि, उनके पिता ने कई बार उन्हें प्रैक्टिस से रोका, लेकिन अन्नू ने हार नहीं मानी। वे चुपके से अभ्यास करती रहीं, अपने सपनों को जीवित रखते हुए।